उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में जन्मे इस अंतरिक्ष वैज्ञानिक की मिशन चन्द्रयान-3 में निभाई अहम भूमिका, इस जिले के हैं निवासी
हल्द्वानी। पूर्व दर्जा राज्यमंत्री डॉ. गणेश उपाध्याय ने यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) बेंगलुरु के क्वालिटी एश्योरेंस ग्रुप में कार्यरत अपने बचपन के मित्र एवं वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक महेंद्र पाल सिंह को मिशन चन्द्रयान- 3 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर फोन करके बधाई संदेश प्रेषित किया है।
डॉ. गणेश उपाध्याय ने बताया कि उनके मित्र महेंद्र पाल सिंह काशीपुर तहसील के ग्राम करनपुर के स्वर्गीय सरदार गुरुदयाल सिंह के सबसे छोटे पुत्र हैं। 1965 में जन्में उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा सरकारी नौकरी से पूरी की। वहीं रुद्रपुर में प्राइमरी स्कूल से बेसिक शिक्षा तथा रुद्रपुर उनके गांव से ही ए.एन.झा इंटर कॉलेज से हाईस्कूल की पढ़ाई पूर्ण की है। बाद में आगे की पढ़ाई के लिए वह थोड़े समय के लिए बीएसवी इंटर कॉलेज जसपुर में शामिल हो गए और फिर मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए 1982 में नैनीताल पॉलिटेक्निक चले गए।1985 में नैनीताल में अपना कोर्स पूरा करने के बाद वह अपने चचेरे भाई कृपाल सिंह कालरा के साथ लुधियाना चले गए जहाँ उन्होंने एक निजी कंपनी में एक साल तक काम किया। वह अगस्त 1987 में बैंगलोर में इसरो में शामिल हुए। वह चंद्रयान-3 के असेंबली इंटीग्रेशन और परीक्षण के लिए मैकेनिकल क्वालिटी एश्योरेंस टीम के प्रमुख थे।
इसरो ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर की सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराकर भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बनाकर 140 करोड़ भारतीयों का सीना गर्व और खुशी से चौड़ा कर दिया है। महेंद्र पाल सिंह मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान), चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 टीमों का भी हिस्सा थे। वह प्रतिष्ठित मार्स ऑर्बिटर मिशन, INSAT-3D और EMISAT के प्रोजेक्ट मैनेजर थे। उन्होंने चंद्रयान-1, 2 और 3 और दो विदेशी उपग्रहों सहित लगभग 100 संचार, रिमोट सेंसिंग, उन्नत मौसम विज्ञान और वैज्ञानिक उपग्रहों पर काम किया है। वह उन्नत मौसम विज्ञान पेलोड के लिए क्रायोजेनिक पैसिव रेडिएंट कूलर के डिजाइन और कार्यान्वयन के लिए इसरो टीम उत्कृष्टता पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं।और मंगल ऑर्बिटर मिशन के लिए उनके योगदान के लिए प्रशंसा प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।
वह अंतरिक्ष यान की संरचना और सबसिस्टम हार्डवेयर, असेंबली, एकीकरण और अंतरिक्ष यान के परीक्षण के गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता आश्वासन गतिविधियों में विशेषज्ञता रखते हैं। वर्तमान में वह यूआरएससी की गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के प्रमुख हैं।उन्हें इन्सैट-3डी अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण अभियान के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी – ईएसए, फ्रेंच गुयाना में प्रतिनियुक्त किया गया था।उन्हें क्रमशः 1989 और 1990 में आईईआई, भुवनेश्वर और आईआईटी कानपुर में भारतीय इंजीनियरिंग कांग्रेस के दौरान प्रस्तुत किए गए अपने तकनीकी पत्रों के लिए 2 स्वर्ण पदक प्राप्त हुए हैं। सिंह जी ने मुझे अवगत कराया कि जब भी मैं उधम सिंह नगर आऊंगा। निश्चित तौर पर जहां हमने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की, नैनीताल जाने का बहुत इच्छुक हूं।