उत्तराखंड दर्शन
गाय की पूजा करने के साथ ही नदियों की प्राकृतिक पूजा भी भगवान कृष्ण की प्रवर्तक
लालकुआं। राधे-राधे सेवा समिति के तत्वाधान में भोला मंदिर के सामने जाल प्रांगण में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में नंद जन्मोत्सव मनाया गया। इस दौरान कथा वाचक आचार्य डॉ पंकज मिश्रा ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का विस्तृत वर्णन करते हुए उनकी बाल लीलाओं को उनका मुख्य उत्सव बताया।
उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण का प्राकृतिक उत्सव भागवत कृष्ण का विग्रह स्वरूप है और 16 कलाओं से पूर्ण है, जिन्होंने जगत को संदेश देने का काम किया है। भगवान श्री कृष्ण ने जगत को संदेश देते हुए कहा कि गाय की पूजा करने के साथ नदियों की प्राकृतिक पूजा भगवान कृष्ण की प्रवर्तक है। कहा कि भगवान कृष्ण का प्रकट जेल में हुआ नामकरण गोकुल में तथा लीलाएं ब्रज धाम में हुई। प्रारंभ अवस्था में गौ सेवा को उन्होंने महत्व दिया, जिससे उनका नाम गोपाल पड़ा तथा उनका समर्पण इतना रहा कि उन्होंने सामान्य जीवन जिया। यहां तक उन्होंने पैरों में चप्पल नहीं पहनी, केश नहीं कटवाए। यही उनकी बाल लीलाओं को दर्शाता है। व्यास पंकज मिश्रा ने कान्हा द्वारा पूतना उद्धार प्रसंग, वक्रासुर का वध व कंस द्वारा भेजे गए अनेकों राक्षसों के वध की कथा सुनाई।
साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की माटी खाने व अपनी माता यशोदा को विश्वरूप के दर्शन करवाने की ललित बाल लीलाओं, माखन चोरी लीला के आध्यात्मिक भाव दिव्य प्रेम का विस्तार से वर्णन किया। इस दौरान उत्तराखंड सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री तथा विधायक अरविंद पांडे ने कार्यक्रम में पहुंचकर कथा व्यास का पगड़ी पहनाकर स्वागत किया। साथ ही उन्होंने महिलाओं से अपने बच्चों को सनातन संस्कृति को और बढ़ावा देने का आह्वान किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ समाज सेवी तथा भाजपा नेता हेमंत नरूला, राधे-राधे सेवा समिति के संरक्षक जगदीश अग्रवाल, अध्यक्ष संजीव शर्मा, उमेश तिवारी, कुलदीप मिश्रा, भोलाराम, राजेंद्र प्रसाद अग्निहोत्री, अरुण जोशी, विनोद शर्मा, अशोक पाठक, दिलीप सिंह, हरीश नैनवाल, महेश कश्यप, पंचम लाल, पीएन शर्मा, जेपी गुप्ता, प्रेमनाथ पंडित, हरप्रीत सिंह, महेश चौधरी, राकेश गुप्ता, रत्नेश, आदित्य, मातृशक्ति में रजनी सिंह, रितु छाबड़ा, सुमन पाल, सोनी मौर्य, रुचि मौर्य आदि मौजूद रहे।