उत्तराखण्ड
DFO कुंदन कुमार के बार-बार तबादले पर धामी सरकार पर उठे सवाल।
रामनगर(नैनीताल) उत्तराखंड के वन महकमे में कुछ आईएफएस अधिकारियों के तबादले हुए हैं। सरकारी महकमो में होने वाले अधिकारियों के तबादलों को एक रूटीन प्रक्रिया बताई जाती है लेकिन कई मामलों में किसी अधिकारी के तबादले के पीछे एक बड़ा खेल भी होता है।इस खेल में सत्ता में बैठे लोग और नियम कानून को ताक में रखकर धंधा करने वाले धंधेबाज लोग शामिल रहते है। सत्ता में बैठे लोगों और इन धंधेबाजों का आपसी गठबंधन भी अधिकारियों की तबादला और तैनाती की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। प्रदेश में वृहस्पतिवार को जितने भी आईएफएस अधिकारियों के तबादले किए गए हैं उनमें से सर्वाधिक चर्चा आईएफएस कुंदन कुमार की हो रही है। उनके तबादले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
आईएफएस अधिकारी कुंदन कुमार का एक साल में तीन बार तबादला किया जा चुका है। अभी रामनगर वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी पद तैनात कुंदन कुमार को यहाँ से हटा दिया गया है। रामनगर वन प्रभाग का DFO बनाये जाने से पहले उनको तराई पश्चिमी वन प्रभाग का डीएफओ बनाया गया था। अपनी ईमानदार छवि और नियम के सख्त माने जाने वाले अधिकारी कुंदन कुमार ने तराई पश्चिमी वन प्रभाग का डीएफओ पद संभालते ही अवैध खनन पर अंकुश लगाया। उन्होंने सबसे पहले अपने स्टॉफ पर सख्ती की, फिर वन चौकी बैरियर पर तैनात लापरवाह कर्मचारियों पर एक्शन लेना शुरू किया। उनकी इस सख्ती से अवैध खनन कारोबारियों और वन कर्मियों की साठ गांठ टूटी। बिना पुलिस फोर्स लिए कुंदन कुमार ने कोसी और दाबका में होने वाले अवैध खनन पर काफी हद तक अंकुश लगाने का काम किया। कुंदन कुमार की इस सख्त कार्रवाई से इलाके की स्टोन क्रेशर मालिक और खनिज भंडारण के मालिक उनके खिलाफ हो गए।
तराई पश्चिमी वन प्रभाग में डीएफओ कुंदन कुमार की तैनाती से खनन कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ था। खनन कारोबारियों में डीएफओ कुंदन कुमार का खौफ काफी रहा। स्टोन क्रशर वालों की खनिज से भरी गाड़ियां लगातार पकड़ी जा रही थी। पकड़ी गयी गाड़ियों को कुंदन कुमार सरकारी संपत्ति घोषित करने की कार्रवाई करते जा रहे थे। कुछ नई चेक पोस्ट भी खोलने की उनकी तैयारी चल रही थी। सत्ता पक्ष के नेताओं का दबाव भी उनपर नही चल रहा था।
डीएफओ कुंदन कुमार के एक्शन से खौफजदा स्टोन क्रेशर मालिकों ने उनको हटवाने की कोशिश शुरू कर दी।स्टोन क्रेशर लॉबी ने DFO कुंदन कुमार को हटाने के लिए सत्ता पक्ष के चार विधायकों का पत्र मुख्यमंत्री को भेजा।
इसके बाद डीएफओ कुंदन कुमार को तराई पश्चिमी वन प्रभाग से हटाकर रामनगर वन प्रभाग में भेजा गया। रामनगर वन प्रभाग में डीएफओ कुंदन कुमार की तैनाती होते ही रिजॉर्ट और होटल मालिक सकते में आ गए। तराई पश्चिमी वन प्रभाग से हटते ही स्टोन क्रेशर लॉबी ने जहां राहत की सांस ली,वहीं रामनगर वन प्रभाग में कुन्दन कुमार की तैनाती से रिसॉर्ट मालिक चिंताग्रस्त होने लगे, खासकर ढिकुली क्षेत्र के वह रिसॉर्ट मालिक जिन्होंने वन भूमि में अवैध कब्जे किये हैं।
आईएफएस अधिकारी कुंदन कुमार का सरकार ने अब रामनगर वन प्रभाग से भी तबादला कर दिया है।उनके इस तबादले को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बताया जा रहा है कि कुंदन कुमार का यह तबादला रिजॉर्ट मालिकों के दबाव में ही किया गया है। पहले स्टोन क्रेशर मालिकों के दबाव में उनका तराई पश्चिमी वन प्रभाग से तबादला किया गया और अब रिसोर्ट मालिकों के दबाव में रामनगर वन प्रभाग से भी उनका तबादला कर दिया है। छोटे से अंतराल में उनके बार बार तबादले से सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार ईमानदार अधिकारियों के साथ ऐसा ही बर्ताव करेगी?
आपको बता दें कि रामनगर में जी20 के सम्मेलन की तैयारियों के दौरान डीएफओ कुंदन कुमार से कुछ अधिकारियों की नाराजगी भी रही। तत्कालीन डीएम भी उनसे उनका एक आदेश न मानने पर नाराज रहे।रामनगर में जी20 की तैयारियों को लेकर तत्कालीन डीएम द्वारा सौंदर्यीकरण के काम कराये जा रहे थे, रामनगर वन प्रभाग में अपेक्षित सहयोग न मिलने पर डीएम द्वारा मुख्य सचिव को डीएफओ कुंदन कुमार की शिकायत की गई थी।
बताया जा रहा है रिंगोरा के पास एक मजार को हटाने के लिए भी उनसे कहा गया था जिस पर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन इस बीच डीएफओ कुंदन कुमार रामनगर वन प्रभाग की भूमि पर हर अवैध कब्जे को हटाने की कार्रवाई पूरी सख्ती के साथ करने की तैयारी कर चुके थे।ढिकुली क्षेत्र में बने ज्यादातर रिजॉर्ट मालिकों ने वन भूमि क्षेत्र में भी अवैध कब्जे किये हैं। रिजॉर्ट मालिकों को आशंका थी कि डीएफओ कुंदन कुमार ने उनके खिलाफ अपनी कार्रवाई शुरू कर दी तो वह फिर रुकेगी नहीं,पूरी सख्ती के साथ चलेगी।
सरकार के अफसर और मंत्री इन रिजॉर्ट में एन्जॉय करते हैं, उनके आपस में अच्छे संबंध भी बने हैं, ऐसे में संविधान की शपथ लिए एक अफसर ईमानदारी के साथ नियम और कानून को फॉलो करते हुए कार्रवाई करने की कोशिश करता है तो उनको दिक्कत होने लगती है।