उत्तराखण्ड
रामनगर में पकड़े गए उत्पाती बंदर, दूसरी जगह छोड़े जायेंगे
रामनगर, नैनीताल:
रामनगर और ढिकुली क्षेत्र के निवासियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। वन विभाग की टीम ने करीब 70 उत्पाती बंदरों को पकड़ने में सफलता हासिल की है। इन बंदरों को अब अन्य सुरक्षित जंगल क्षेत्रों में छोड़ा जाएगा।
बंदरों का आतंक:
रामनगर और ढिकुली क्षेत्र में लंबे समय से बंदरों का आतंक बना हुआ था। घरों में घुसकर सामान उठाना, बच्चों और बुजुर्गों पर हमला करना, तथा फलों और सब्जियों की फसल को नुकसान पहुंचाना, इन बंदरों की आदत बन चुकी थी। स्थानीय निवासियों ने कई बार प्रशासन और वन विभाग से शिकायत की थी, लेकिन समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी।
अभियान की शुरुआत:
आखिरकार, वन विभाग ने बंदरों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान शुरू किया। वन विभाग ने बंदरों को पकड़ने के लिए अनुभवी कर्मियों और आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया। इस अभियान में टीम ने ढिकुली और रामनगर क्षेत्र में बंदरों की गतिविधियों पर नजर रखी और उन्हें सफलतापूर्वक काबू में किया।
दूसरे जंगल क्षेत्रों में छोड़े जाएंगे बंदर:
पकड़े गए बंदरों को रामनगर से दूर सुरक्षित जंगल क्षेत्रों में छोड़ने की योजना बनाई गई है, ताकि वे न तो इंसानी बस्तियों के करीब आएं और न ही उन्हें किसी प्रकार की हानि पहुंचे।
स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया:
बंदरों के आतंक से जूझ रहे स्थानीय निवासियों ने इस कार्रवाई पर खुशी जाहिर की है। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “यहां बंदरों का डर इतना बढ़ गया था कि बच्चे घर से बाहर खेलने तक से कतराने लगे थे। वन विभाग और प्रशासन का यह कदम बहुत सराहनीय है।”
बंदरों के आतंक के पीछे कारण:
विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में भोजन और पानी की कमी के कारण बंदर इंसानी बस्तियों का रुख कर रहे हैं। अतिक्रमण और वनों की कटाई भी इस समस्या को बढ़ा रही है।
वन विभाग की अपील:
वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे बंदरों को खाना न खिलाएं और उनकी गतिविधियों की जानकारी तुरंत विभाग को दें। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि घरों में भोजन और कचरे को बंदरों की पहुंच से दूर रखा जाए।
इस अभियान से क्षेत्रवासियों को राहत जरूर मिली है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि इस समस्या का स्थायी समाधान क्या है। वन्यजीव और इंसानों के बीच बढ़ते संघर्ष पर ध्यान देना अब जरूरी हो गया है।