उत्तराखण्ड
मालधन की महिलाओं ने शराब की दुकान पर ठोका ताला, चक्का जाम के आगे प्रशासन को टेकने पड़े घुटने
मालधन की महिलाओं ने शराब की दुकान पर ठोका ताला, चक्का जाम के आगे प्रशासन को टेकने पड़े घुटने
रामनगर/मालधन:
उत्तराखंड में भाजपा सरकार की शराब नीति के खिलाफ जनआक्रोश अब उबाल पर है। रामनगर के मालधन क्षेत्र में महिलाओं ने ‘इलाज दो, नशा नहीं’ के नारे के साथ शराब के ठेके के सामने मोर्चा खोल दिया। महिला एकता मंच के आह्वान पर जुटी सैकड़ों महिलाओं और जनप्रतिनिधियों ने शराब की दुकान के बाहर चक्का जाम कर दिन-रात का धरना शुरू कर दिया, जिससे शासन-प्रशासन की नींद उड़ गई।
प्रशासन ने पहले मुकदमों का डर दिखाकर महिलाओं को डराने की कोशिश की, लेकिन महिलाएं लाठी-गोलियां खाने को भी तैयार थीं। अंततः जनता की एकजुटता के आगे प्रशासन को झुकना पड़ा और उपजिलाधिकारी प्रमोद कुमार को शराब की दुकान पर तालाबंदी करनी पड़ी। यह केवल एक दुकान की तालाबंदी नहीं, बल्कि सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जनता की पहली बड़ी जीत है।
धरना स्थल पर महिलाओं ने स्पष्ट कहा—“हमें अस्पताल चाहिए, डॉक्टर चाहिए, न कि गांव-गांव में शराब के ठेके!” भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए वक्ताओं ने कहा कि “यह सरकार रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य देने में विफल रही है, अब समाज को नशे में धकेल रही है।”
सभा को संबोधित करते हुए समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, उपपा नेता प्रभात ध्यानी, इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित रुहेला, कांग्रेस नेता रंजीत रावत और कई अन्य नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि मालधन में फिर से शराब की दुकान खोलने की कोशिश की गई, तो धरना और चक्का जाम पहले से भी अधिक उग्र होगा।
यह सिर्फ मालधन की लड़ाई नहीं, उत्तराखंड की हर उस मां-बहन की आवाज है, जो अपने बच्चों को नशे से बचाना चाहती है।




