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उत्तराखण्ड

बेतालघाट गोलीकांड: यूपी से दबोचे गए तीन आरोपी, भरे बाजार में फ़िल्मी अंदाज़ में हुई गिरफ्तारी

बेतालघाट गोलीकांड: यूपी से तीन गुंडे दबोचे गए, लेकिन असली सरगना पर चुप्पी क्यों?

नैनीताल। 14 अगस्त को बेतालघाट ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान चली गोलियों और फैली अराजकता के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। बेतालघाट पुलिस सादी वर्दी में यूपी के लखीमपुर खीरी पहुंची और भरे बाजार से तीन आरोपियों को फ़िल्मी अंदाज़ में दबोच लिया। गिरफ्तार हुए आरोपियों में रामनगर का प्रदीप सोकर और बाजपुर के अमरित पाल पन्नू व गुरजीत सिंह शामिल हैं। पुलिस ने इनके कब्जे से एक थार गाड़ी भी जब्त की है।

इससे पहले भी इस कांड में शामिल छह युवकों को सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है, जिनका ताल्लुक रामनगर और हल्द्वानी से है।

लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल उठता है—ये भाड़े के गुंडे बेतालघाट लाए किसके इशारे पर गए थे?
जानकारी के मुताबिक, ब्लॉक प्रमुख के एक प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रभावित करने के लिए इन बाहरी लोगों को बुलाया गया था। यही गुंडे चुनाव के दिन बेतालघाट में गोलियां बरसाकर अराजकता फैलाते रहे। मगर जिस असली खिलाड़ी ने पर्दे के पीछे से इन गुंडों को बुलाया, उसका नाम आज तक सामने नहीं आया है।

घटना के बाद चुनावी अव्यवस्था पर जिम्मेदार अधिकारियों की भी गाज गिरी। तत्कालीन थाना अध्यक्ष अनीस अहमद को निलंबित किया गया और सीओ प्रमोद शाह पर विभागीय कार्रवाई लटकी हुई है। हैरानी की बात यह है कि लखीमपुर खीरी से तीन आरोपियों को दबोचने गई टीम में निलंबित किए गए अनीस अहमद भी शामिल रहे।

यह पूरा मामला साफ करता है कि लोकतंत्र को गुंडई और पैसों के दम पर कुचला जा रहा है। पुलिस भले ही भाड़े के आदमियों को पकड़ रही हो, लेकिन असली सरगना को बचाने की चुप्पी और पर्देदारी अब सबसे बड़ा सवाल बन गई है।

आखिर कब तक सिर्फ मोहरे पकड़े जाएंगे और असली खेल खेलने वाले ताकतवर चेहरे कानून के दायरे से बाहर रहेंगे?

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