उत्तराखण्ड
खनिज निकासी गेट पर भ्रष्टाचार का खेल! ट्रांसपोर्टरों ने वन निगम RM के खिलाफ खोला मोर्चा
रामनगर (नैनीताल) – उपखनिज निकासी गेट खड़ंजा में वन निगम की मनमानी से ट्रांसपोर्टरों में भारी आक्रोश है। पहले से ही खनिज लदे वाहनों की लंबी कतारों से जूझ रहे इस गेट पर अब नए वाहनों का पंजीकरण करवा दिया गया है, जिससे स्थानीय ट्रांसपोर्टरों का धंधा चौपट होने की कगार पर है।
वन निगम का तानाशाही फरमान! खड़ंजा गेट पर लाद दिए अतिरिक्त वाहन
पहले से ही ट्रैफिक के दबाव में घिरे खड़ंजा गेट को अब और भी अराजकता की भेंट चढ़ाने की तैयारी हो रही है। वन निगम के RM ने कालूसिद्ध और कठियापुल गेटों के वाहनों को भी यहां भेज दिया, जिससे स्थानीय ट्रांसपोर्टरों के हितों पर सीधा हमला हुआ है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि वन निगम RM ने नियमों को ताक पर रखकर यह फैसला लिया है, जिससे इलाके में न केवल व्यवसायिक संकट खड़ा हो गया है, बल्कि सामाजिक और सुरक्षा से जुड़ी गंभीर परेशानियां भी खड़ी हो गई हैं।
बच्चों की जान पर बन आई, लेकिन वन निगम की कान पर जूं तक नहीं रेंगी
खड़ंजा गेट आबादी के पास स्थित है, जहां से हर दिन सैकड़ों स्कूली बच्चे गुजरते हैं। भारी-भरकम खनिज लदे ट्रक न केवल यातायात जाम का कारण बनते हैं, बल्कि छोटे बच्चों और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करते हैं। ट्रांसपोर्टरों का आरोप है कि वन निगम केवल पैसों के लिए आम जनता की सुरक्षा को ताक पर रख रहा है।
ट्रांसपोर्टरों का गुस्सा फूटा, RM के खिलाफ गरजे नारों की गूंज
इस तानाशाही फरमान के खिलाफ ट्रांसपोर्टरों ने आज वन निगम RM के कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। लेकिन जैसे ही प्रदर्शनकारी दफ्तर पहुंचे, RM वहां से गायब मिले! ट्रांसपोर्टरों का साफ आरोप है कि RM इस फैसले के पीछे भ्रष्टाचार कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस फैसले को तुरंत वापस नहीं लिया गया, तो वे उग्र आंदोलन छेड़ने पर मजबूर होंगे।
भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल, अब आर-पार की लड़ाई
ट्रांसपोर्टरों ने साफ कर दिया है कि अगर वन निगम ने इस मनमानी को जारी रखा, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे और जरूरत पड़ी तो उच्चाधिकारियों से लेकर न्यायालय तक जाएंगे।
अब सवाल यह है कि –
1. क्या वन निगम RM पर कार्रवाई होगी?
2. क्या भ्रष्टाचार का यह खेल यूं ही चलता रहेगा?
3. क्या जनता की सुरक्षा और ट्रांसपोर्टरों के अधिकारों की कोई परवाह करेगा?
अगर वन निगम ने जल्द ही इस मनमानी पर रोक नहीं लगाई, तो खड़ंजा गेट पर बवाल होना तय है!
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