उत्तराखण्ड
इलाज चाहिए, नशा नहीं! मालधन में महिलाओं का हुंकार—अबकी बार सड़क पर जंग तय
इलाज चाहिए, नशा नहीं! मालधन में महिलाओं का हुंकार—अबकी बार सड़क पर जंग तय
रामनगर (नैनीताल)।
“नशा नहीं, इलाज दो”—इस हुंकार के साथ मालधन की महिलाएं अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। आगामी 3 मई को प्रस्तावित धरना व चक्का जाम को सफल बनाने के लिए महिला एकता मंच का जनसंपर्क अभियान और तेज हो गया है। महिलाओं ने साफ कर दिया है—अब अगर सत्ता के कान पर जूं नहीं रेंगी तो वे खुद थाली-कनस्तर लेकर जनप्रतिनिधियों की नींद तोड़ने पहुंचेंगी।
गुरुवार को चंद्रनगर और गोपाल नगर नंबर 10 में हुई बैठकों में महिलाओं ने न सिर्फ शराबबंदी की मांग दोहराई, बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली पर भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। महिलाओं ने साफ कहा—इलाज के नाम पर यहां मज़ाक हो रहा है। एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, ऑपरेशन और इमरजेंसी जैसी बुनियादी सुविधाएं नदारद हैं। जब बीमार जनता अस्पताल पहुंचती है, तो व्यवस्था उन्हें लाचार छोड़ देती है—और सरकार शराब बेचने में मस्त है।
“शराब बंद करो, स्कूल खोलो”—विनीता टम्टा का दो टूक संदेश
बैठक में बोलते हुए विनीता टम्टा ने मालधन क्षेत्र में विकलांग बच्चों के लिए स्कूल की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि जहां स्पेशल बच्चों के लिए कोई संस्थान नहीं है, वहां शराब की दुकानें क्यों खोली जा रही हैं? क्या सरकार के लिए मुनाफा ही सब कुछ है?
ग्राम प्रधान पुष्पा का तीखा हमला—”विधायक को वोट चाहिए, जवाब नहीं”
ग्राम प्रधान पुष्पा ने भाजपा विधायक दीवाना सिंह पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि मालधन की जनता को वो केवल वोट बैंक मानते हैं। महिलाओं के आंदोलन को एक महीना हो गया, पर विधायक आज तक झांकने तक नहीं आए। क्या यही है जनता की सेवा?
“अगर नहीं जागे विधायक, तो थालियां और कनस्तर बजेगा”
देबी आर्य ने सरकार को चेताया कि अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो महिलाएं विधायक के घर जाकर थाली-कनस्तर बजाएंगी। उन्होंने कहा—”जब लोकतंत्र में सुनवाई बंद हो जाए, तो जनता को जगाने का काम भी जनता ही करती है।”
बैठकों में भगवती, सरस्वती जोशी, ममता, शिल्पी, रजनी, पूजा, कमला, चंद्रावती, बीना, उर्मिला, कुसुम, सुरमा, आशा, पूनम, आनंदी समेत बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल रहीं। सभी ने 3 मई को चक्का जाम को ऐतिहासिक बनाने की शपथ ली।
अबकी बार मुद्दा साफ है—इलाज चाहिए, नशा नहीं। और अगर सरकार नहीं सुनती, तो मालधन की सड़कें ही जवाब देंगी।




