उत्तराखण्ड
टिम्बर व्यापारियों की जीत: हाईकोर्ट ने मंडी समिति की बेदखली पर लगाई रोक
रामनगर की मंडी समिति द्वारा वर्षों से संचालित किए जा रहे टिम्बर व्यापारियों के खिलाफ बेदखली की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए रोक लगा दी है। टिम्बर व्यवसाय से जुड़े 11 व्यापारियों, जिनमें संजीव कुमार, अजय कुमार, मणि देव भारद्वाज, पवन कुमार, और शफीक अहमद प्रमुख हैं, की याचिका पर कोर्ट ने मंडी समिति के आदेश को निरस्त कर दिया।
मंडी समिति पिछले 22 वर्षों से इन व्यापारियों को दिए गए प्लॉट्स को जबरन खाली कराने की कोशिश कर रही थी। समिति का दावा था कि वह इन भूखंडों पर रिसॉर्ट और शीतगृह बनाने की योजना पर काम कर रही है। हालांकि, व्यापारियों के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने कोर्ट में दलील दी कि ये व्यापारी मंडी समिति को एक करोड़ रुपये से भी अधिक मंडी शुल्क का भुगतान कर रहे हैं, और बदले में उन्हें केवल 800 स्क्वायर फीट के छोटे भूखंड ही दिए गए हैं, जिनका इस्तेमाल वे लकड़ी भंडारण के लिए करते हैं।
अधिवक्ता मैनाली ने कोर्ट को यह भी बताया कि मंडी समिति अब अचानक इन भूखंडों को खाली कराने पर अड़ी है, जबकि व्यापारी मंडी शुल्क का भुगतान जारी रखे हुए हैं। मैनाली ने तर्क दिया कि व्यापारियों से मंडी शुल्क की वसूली तभी की जा सकती है जब बदले में उन्हें किसी प्रकार की सुविधा दी जा रही हो, और फिलहाल उनके पास केवल यह भूखंड ही एकमात्र सुविधा है।
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए व्यापारियों की बेदखली पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई है। कोर्ट ने सचिव कृषि को आदेश दिया है कि वह 10 दिनों के भीतर इस मामले में बैठक करें और या तो व्यापारियों के लिए अलग से कोई स्थान आवंटित करें या फिर मंडी समिति अपने प्रस्तावित रिसॉर्ट और शीतगृह के लिए कोई अन्य स्थान खोजे।
इस फैसले से टिम्बर व्यापारियों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि वे पिछले कई वर्षों से इस दबाव में थे कि उन्हें अपने व्यवसाय के लिए आवंटित स्थान से बेदखल कर दिया जाएगा। कोर्ट का यह निर्णय व्यापारियों के पक्ष में एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है, जो उनके व्यवसाय और भविष्य को सुरक्षित रखेगा।