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उत्तराखण्ड

रामनगर: पौष माह के पहले रविवार से प्रारंभ हुआ विष्णुपदी होली गायन, भक्तिमय रंगों से सराबोर हुआ दुर्गा मंदिर

रामनगर (नैनीताल) होली के पर्व में भले ही अभी तीन महीने का समय हो, लेकिन कुमाऊं क्षेत्र की अनूठी परंपरा के तहत पौष माह के पहले रविवार से ही विष्णुपदी होली गायन की शुरुआत हो जाती है। इस गायन में भक्ति, निर्वाण और आध्यात्मिकता के रंग होली के राग-ताल में गाए जाते हैं।

रामनगर के लखनपुर स्थित दुर्गा मंदिर में आयोजित विष्णुपदी होली गायन में रसिक जनों और श्रोताओं ने इस सांगीतिक परंपरा का आनंद उठाया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री हीरा वल्लभ पाठक जी ने गणेश वंदना से किया। इसके बाद कैलाश चंद्र त्रिपाठी ने राग काफी में “भव भंजन गुण गाऊं” गाकर होली गायन की सुरमयी शुरुआत की।

संगीत की सुरमयी प्रस्तुतियां
इस कार्यक्रम में शंकर दत्त कुंवाला और दिनेश चंद्र काश्मीरा ने जंगला काफी और काफी राग में अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं चित्रेश त्रिपाठी और बालम सिंह बिष्ट ने तबले पर अपनी संगत से माहौल को और भी प्रभावशाली बना दिया। काशीपुर से आए भोला पांडे जी ने भी अपनी प्रस्तुति से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।

भाव विभोर हुए श्रोता
बैठकी होली गायन के भक्ति और आध्यात्मिक रंगों से सजे इस कार्यक्रम ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम में शेखर चंद्र जोशी, शंभू दत्त तिवारी, विशंभर दत्त पंत, जगदीश चंद्र लोहनी, गणेश पंत, गणेश पपनै, प्रकाश कोटवाल, किरण कोटवाल, चंद्रशेखर फुलारा और मंदिर के पुजारी समेत कई संगीत प्रेमियों ने अपनी उपस्थिति से आयोजन को भव्य बनाया।

पारंपरिक होली गायन की महत्ता
यह विष्णुपदी होली गायन न केवल कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को इस अनमोल परंपरा से जोड़ने का कार्य भी करता है। रामनगर के इस आयोजन ने दर्शकों को कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ा और उन्हें भक्तिरस में डूबने का अवसर प्रदान किया।

विष्णुपदी होली गायन: भक्ति, निर्वाण और आध्यात्म का संगम
इस अनूठे आयोजन ने यह साबित कर दिया कि कुमाऊं की होली केवल रंगों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भक्ति और संगीत का एक ऐसा संगम है जो मन और आत्मा को शांति और आनंद से भर देता है।

 

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