उत्तराखण्ड
रामनगर की सड़कों पर महिलाओं का हुंकार: अश्लील चित्रण, लैंगिक असमानता और सुरक्षा की मांगों को लेकर प्रदर्शन
रामनगर (नैनीताल)महिलाओं के अश्लील चित्रण, पोर्न फिल्मों पर सख्ती से रोक, लैंगिक समानता और महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक अधिकारों की मांगों को लेकर रामनगर में महिलाओं का विशाल जनसमूह सड़कों पर उतर आया। महिला एकता मंच के बैनर तले आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में महिलाओं ने लखनपुर चौक पर धरना दिया और पुरानी तहसील तक जुलूस निकाला।
महिलाओं की सुरक्षा खतरे में’: दिल्ली की सीमा सैनी का भाषण
लखनपुर चौक पर सभा को संबोधित करते हुए दिल्ली की सीमा सैनी ने कहा, “देश की महिलाएं आज खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। 2012 में बने सख्त कानून भी महिलाओं के प्रति अपराधों को नहीं रोक पाए हैं। भाजपा की राजनीति पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि जब भाजपा नेताओं का नाम अपराधों में आता है तो उन्हें बचाया जाता है, जबकि अल्पसंख्यकों को बलि का बकरा बना दिया जाता है।”
पितृसत्ता से लड़ाई जारी’: ऊषा पटवाल की तीखी प्रतिक्रिया
ऊषा पटवाल ने पितृसत्तात्मक व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा, “महिलाओं को जन्म से ही पुरुषों के अधीन कर दिया जाता है, पहले पिता और भाई, फिर पति, और वृद्धावस्था में पुत्र के अधीन। संपत्ति में भी महिलाओं को बराबरी का अधिकार नहीं मिलता। कार्यस्थलों पर भी महिलाओं को कम वेतन और सुविधाएं दी जाती हैं।”
कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका पर उठे सवाल
महिला एकता मंच की संयोजक ललिता रावत ने न्यायपालिका और प्रशासन के भेदभावपूर्ण रवैये पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट के जज के हालिया बयान का हवाला देते हुए कहा, “बलात्कार के 72 प्रतिशत आरोपी अदालतों द्वारा छोड़ दिए जाते हैं। देश में हर तीसरी महिला घरेलू हिंसा की शिकार है। अब महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए खुद आगे आना होगा।”
महिलाओं की आवाज़: जुलूस और धरना
इस सभा में पुष्पा चन्दोला, पारुल शर्मा, माया नेगी, और अन्य महिलाओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने एक सुर में कहा कि देश के हर गांव, गली और शहर में महिलाओं को जागरूक करना होगा, ताकि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ सकें।
इस प्रदर्शन में राज्य आंदोलनकारी सुमित्रा बिष्ट, महिला मंगल दल की अध्यक्ष पुष्पा आर्य और सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया।
निष्कर्ष
यह विरोध प्रदर्शन महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम है। रामनगर की सड़कों पर उठी महिलाओं की आवाज़ इस बात का प्रमाण है कि अब और ज्यादा समय तक वे चुप नहीं रहेंगी। समाज और सरकार को महिलाओं के प्रति अपने दृष्टिकोण में सुधार लाने की सख्त जरूरत है।