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उत्तराखण्ड

पुलिस की धमकियों के बीच महिलाओं का संघर्ष जारी, ‘नशा नहीं इलाज दो’ आंदोलन ने पकड़ा जोर

पुलिस की धमकियों के बीच महिलाओं का संघर्ष जारी, ‘नशा नहीं इलाज दो’ आंदोलन ने पकड़ा जोर
— एटम बम डेस्क

रामनगर।
उत्तराखंड के मालधन क्षेत्र में ‘महिला एकता मंच’ के बैनर तले चल रहा ‘नशा नहीं इलाज दो’ आंदोलन दूसरे दिन भी बुलंद आवाज़ के साथ जारी रहा। शराब की दुकान के समक्ष डटे लोगों के हौसले तब और भी सख्त हो गए जब पुलिस ने महिलाओं को डराने-धमकाने की कोशिश की।

धरना स्थल पर पुलिसिया दबाव, महिलाएं बोलीं – “अब डरने का सवाल नहीं”
मालधन चौकी की पुलिस जब धरना स्थल पर पहुंची और महिलाओं से धरना हटाने को कहा, तो हालात गर्मा गए। पुलिस और महिलाओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई। लेकिन महिलाएं अपने संकल्प पर अडिग रहीं – “जब तक शराब बंद नहीं, तब तक संघर्ष बंद नहीं!”

सरकार की घोषणाएं ज़मीनी हकीकत में फेल – भगवती आर्य
सभा को संबोधित करते हुए आंदोलन की अगुवाई कर रहीं भगवती आर्य ने तीखा हमला बोला – “मुख्यमंत्री पुष्कर धामी पुलिस के जरिए हमारी आवाज़ को कुचलना चाहते हैं। लेकिन हम चुप नहीं बैठने वाले। अगर शराब की दुकान बंद नहीं की गई तो चक्का जाम होगा – और इसकी ज़िम्मेदारी पूरी तरह से भाजपा सरकार की होगी।”

“वोट मांगने वालों को सबक सिखाएगी जनता” – विनीता
धरना स्थल से विनीता का भी आक्रोशित बयान सामने आया – “पंचायत चुनाव में प्रधान और बीटीसी सदस्य बनने के सपने देख रहे लोग इस आंदोलन से नदारद हैं। अब जनता उन्हें उनके दरवाज़े पर जवाब देगी – वोट मांगने आएंगे तो चुपचाप नहीं जाने दिए जाएंगे।”

सरकार इलाज दे नहीं पा रही, शराब थमा रही – देवी आर्य का हमला
सभा में देवी आर्य ने सवाल उठाया – “मुख्यमंत्री ने शराब की नई दुकानों को बंद करने की घोषणा की थी, लेकिन हकीकत इसके उलट है। यहां अस्पताल में न डॉक्टर हैं, न एक्सरे, न अल्ट्रासाउंड, न इमरजेंसी सुविधा। इलाज की जगह सरकार शराब परोस रही है। क्या यही विकास है?”

जनता की आवाज़ में अब धमक है, दमन नहीं होगा कामयाब
सभा में सरस्वती जोशी, आनंदी, देसी, पूजा, रजनी, कौशल्या चुनियाल, नीतू, भगवती, पुष्पा, जय प्रकाश, मुनीश कुमार, शंकर लाल और हरिश चंद्र जैसे कई स्थानीय लोगों ने अपने तीखे वक्तव्यों से माहौल को और जोशिला बना दिया।

एक सवाल पूरे सिस्टम से – इलाज की मांग करना गुनाह है क्या?
मालधन में उठ रही ये आवाज़ सिर्फ एक गांव की नहीं, पूरे उत्तराखंड के उस तबके की है जो सरकार से स्वास्थ्य सुविधा मांग रहा है, लेकिन बदले में नशे का ज़हर मिल रहा है। पुलिसिया दबाव और राजनीतिक चुप्पी इस आग को और हवा दे रही है।

अब जनता की चेतावनी साफ है – नशा नहीं, इलाज चाहिए… और ये जंग अब रुकने वाली नहीं।

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संपादक –

नाम: खुशाल सिंह रावत
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