उत्तराखण्ड
महिलाओं के संघर्ष और अधिकारों को किया रेखांकित
महिला एकता मंच ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जनसभा का आयोजन कर महिलाओं के संघर्ष और अधिकारों को किया रेखांकित
रामनगर:महिला एकता मंच द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में ग्राम वीरपुर लच्छी में एक जनसभा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में छात्राओं ने जनगीत और नृत्य प्रस्तुत कर महिलाओं के संघर्ष और उनकी आजादी के संदेश को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया।
सभा का संचालन करते हुए लक्ष्मी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के संघर्ष और उनकी आजादी की विजय का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि खनन माफिया के खिलाफ चल रहे संघर्ष ने महिलाओं की एकता को और मजबूत किया है। लक्ष्मी ने यह भी कहा कि सरकार ने विभिन्न धार्मिक त्योहारों पर अवकाश घोषित किया है, लेकिन 8 मार्च को, जो महिलाओं के संघर्ष का प्रतीक है, इसे सार्वजनिक अवकाश घोषित नहीं किया गया है। उन्होंने इस दिन को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की।
समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने समान नागरिक कानून (यूसीसी) पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह कानून महिलाओं को स्वतंत्रता और समानता का वादा करता है, लेकिन वास्तव में यह महिलाओं के अधिकारों को बढ़ाने के बजाय उन पर राज्य की निगरानी को थोपता है। उन्होंने बताया कि यूसीसी के तहत उत्तराखंड के नागरिकों को अपने विवाह, तलाक, जीवनसाथी की मृत्यु और लिविंग रिलेशनशिप के पंजीकरण को अनिवार्य बना दिया गया है। इसके लिए 16 पन्नों का फॉर्म भरना अनिवार्य होगा, जिससे बुजुर्गों को भी परेशानी होगी। उन्होंने कहा कि यूसीसी के तहत पंजीकरण न कराने वालों को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जा सकता है, जो कि अन्यायपूर्ण है। उन्होंने जनता से इस कानून को खारिज करने का आह्वान किया।
उपपा नेता प्रभात ध्यानी ने अंकिता भंडारी हत्या मामले पर सरकार और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार और पुलिस अपराधियों को बचाने में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि भाजपा का “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा ढकोसला बनकर रह गया है।
धन्नो देवी ने बुक्सा जनजाति के सहयोग के लिए क्षेत्र के सामाजिक और राजनीतिक संगठनों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए।
सभा में सरस्वती जोशी, कौशल्या, नीलू रस्तोगी, शाहिस्ता अंसारी, धन्नो देवी, आसिफ और अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में देवी चौड़ा, पुछड़ी और वीरपुर लच्छी से सुनीता मालती देवी, दीक्षा देवी, ममता देवी, चंपा देवी, धनु देवी, फूलों देवी, जयंतो देवी, कमल, प्रेमी राधा, पलक शैलोनी, विनीता, प्रीति, महक, माया और बड़ी संख्या में लोगों ने भागीदारी की।
इस कार्यक्रम ने महिलाओं के संघर्ष और उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिला एकता मंच ने अपने इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया कि महिलाओं की आजादी और समानता के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
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