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अरविंद केजरीवाल को मिली ज़मानत, CBI पर सुप्रीम कोर्ट का तंज:”पिंजड़े में बंद तोता”
नई दिल्ली:दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद वे 145 दिन की कैद से बाहर आ गए। यह निर्णय दिल्ली की विवादास्पद शराब नीति मामले में आया है, जिसमें आम आदमी पार्टी (AAP) के कई बड़े नेता पहले ही जेल जा चुके हैं। इस मामले में अब कोई भी AAP नेता जेल में नहीं है। केजरीवाल के जेल से बाहर आते ही आप नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जोरदार आतिशबाजी कर उनका स्वागत किया।
इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी CBI (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) पर तीखा कटाक्ष करते हुए उसे “पिंजड़े में बंद तोता” कहा। यह टिप्पणी CBI पर राजनीतिक दबाव और निष्पक्ष जांच न करने के आरोपों के चलते आई है। कोर्ट का कहना था कि जब जांच एजेंसी को स्वतंत्र रूप से काम करने का मौका नहीं मिलता, तो उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी कोई नई नहीं है। पहले भी CBI पर राजनीतिक उद्देश्यों के तहत काम करने के आरोप लगते रहे हैं, और इस मामले में भी कोर्ट का यही मत रहा। CBI को लगातार आलोचना का सामना करना पड़ा है कि वह निष्पक्ष नहीं, बल्कि सत्ता में बैठे लोगों के इशारों पर काम करती है।
अरविंद केजरीवाल की ज़मानत के बाद आम आदमी पार्टी ने इसे न्याय की जीत बताया है। पार्टी के प्रवक्ताओं का कहना है कि यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक साजिश था, जिसका उद्देश्य दिल्ली की चुनी हुई सरकार को बदनाम करना था।
हालांकि, CBI ने कोर्ट में यह दावा किया था कि शराब नीति मामले में गंभीर अनियमितताएं थीं, और इसके पीछे नेताओं की मिलीभगत थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर ज़मानत देने का निर्णय लिया कि आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे।
अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने पर AAP के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जोश और उत्साह से स्वागत किया। दिल्ली के कई हिस्सों में पटाखे फोड़े गए और मिठाइयां बांटी गईं। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना था कि यह केवल केजरीवाल की नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जीत है।
CBI के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने एक बार फिर से इस एजेंसी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह है कि क्या CBI वाकई स्वतंत्र और निष्पक्ष रह सकती है, या उसे हमेशा सत्ता के हाथों की कठपुतली के रूप में देखा जाएगा?




