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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन: एक युग का अंत
देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का आज निधन हो गया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी और अपनी विद्वता के लिए पहचाने जाने वाले डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था को ऐसे आयाम दिए, जिनका मूल्यांकन समय के साथ होता रहेगा।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से अपनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की, जो उनकी गहन विद्वता और बौद्धिक क्षमताओं का प्रमाण है।
अर्थशास्त्र के विद्वान और शिक्षक
मनमोहन सिंह ने अपने करियर की शुरुआत अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में की। शिक्षा जगत में उनका योगदान अमूल्य था, जहां उन्होंने अपने छात्रों को आर्थिक नीतियों और वैश्विक अर्थव्यवस्था की गहरी समझ दी।
प्रशासनिक और राष्ट्रीय सेवा
संयुक्त राष्ट्र में सेवा: उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अपने कार्यकाल के दौरान वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को सशक्त बनाया।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष: देश के विकास के लिए उनके योगदान को योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में याद किया जाएगा।
रिजर्व बैंक के गवर्नर: उन्होंने रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में देश की आर्थिक स्थिरता और विकास को मजबूत किया।
वित्त मंत्री: 1991 के आर्थिक संकट के दौरान, देश को वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने गहरी मंदी से उबारकर नई आर्थिक नीतियों का आधार तैयार किया।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल
डॉ. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी नीतियों ने भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित किया।
उनकी महानता का मूल्यांकन
डॉ. मनमोहन सिंह उन नेताओं में से हैं जिनका मूल्यांकन केवल समय ही कर सकता है। उनकी विद्वता, ईमानदारी और समर्पण उन्हें महानता के उस शिखर पर स्थापित करते हैं, जहां बहुत कम लोग पहुंच पाते हैं।
उनका निधन न केवल भारतीय राजनीति बल्कि वैश्विक मंच के लिए भी एक बड़ी क्षति है। डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन और कार्य हमें सिखाता है कि सच्ची महानता सेवा, विद्वता और कर्तव्यनिष्ठा में निहित होती है।
भारत ने आज एक महान नेता को खो दिया है। उनकी स्मृतियां और योगदान हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।