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बरेली पुलिस पर फिर लगा कलंक! किसान को बंधक बनाकर मांगी दो लाख की रिश्वत, चौकी इंचार्ज समेत तीन सस्पेंड

बरेली पुलिस पर फिर लगा कलंक! किसान को बंधक बनाकर मांगी दो लाख की रिश्वत, चौकी इंचार्ज समेत तीन सस्पेंड

बरेली, एटम बम डेस्क: उत्तर प्रदेश पुलिस की वर्दी पर एक बार फिर दाग लग गया है। बरेली के फतेहगंज पश्चिमी में तैनात पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ अपने अधिकारों की धज्जियां उड़ाईं, बल्कि कानून को ताक पर रखकर सीधे गुंडागर्दी पर उतर आए। स्मैक तस्करी के लिए बदनाम फतेहगंज क्षेत्र में अब वसूली का भयंकर खेल सामने आया है—और इस बार निशाना बना एक इज्जतदार किसान, जिसे चौकी प्रभारी और सिपाहियों ने बंधक बनाकर दो लाख रुपये की फिरौती मांगी।

घर में घुसकर मचाया आतंक, फिर ले गए बंधक बनाकर

घटना भिटौरा गांव की है, जहां बृहस्पतिवार रात चौकी इंचार्ज बलवीर सिंह, सिपाही मोहित चौधरी और हिमांशु ने मिलकर एक प्रतिष्ठित किसान बलवीर के घर धावा बोल दिया। तलाशी के नाम पर घर को तहस-नहस कर डाला और बिना किसी वारंट या केस के बलवीर को उठा ले गए। कोई थाने नहीं, सीधे एक निजी मकान में ले जाकर बंधक बना लिया गया—जैसे पुलिस नहीं, अपहरणकर्ता हों।

‘स्मैक तस्करी’ का झूठा आरोप और फिरौती की मांग

आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने बलवीर के परिवार से कहा—वह स्मैक तस्करी में लिप्त है और छोड़ना है तो दो लाख रुपये दो! एक तरफ किसान, जिसकी सामाजिक छवि साफ-सुथरी है, जो कभी किसी आपराधिक मामले में नहीं फंसा, और दूसरी तरफ पुलिस जो उसे जबरन बदनाम कर रही है। परिवार ने जबरदस्त विरोध किया और तुरंत IG व SSP को पूरे मामले की जानकारी दी।

एसएसपी ने दिखाई सख्ती, CO ने मौके पर पहुंचकर कराया मुक्त

जैसे ही मामला आला अधिकारियों तक पहुंचा, SSP अनुराग आर्य ने CO हाईवे को मौके पर भेजा। CO ने मौके पर पहुंचकर बलवीर को बंधन से मुक्त कराया, लेकिन इस बीच आरोपी पुलिसकर्मी भाग खड़े हुए। SSP ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तीनों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया और तत्काल सस्पेंड कर दिया। साथ ही SP उत्तरी मुकेश मिश्रा ने विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।

अब सवाल उठता है—कितने ‘बलवीर’ और झेलेंगे पुलिसिया लूट?

बरेली की जनता पूछ रही है—जब वर्दी वाले ही लुटेरे बन जाएं, तो इंसाफ कौन देगा? क्या यही है ‘जनता की सेवा’ का दावा करने वाली यूपी पुलिस? क्या अब हर सम्मानित नागरिक को अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए फिरौती चुकानी होगी?

ये सिर्फ तीन पुलिसवालों की करतूत नहीं, ये उस सड़ चुके सिस्टम की झलक है, जिसमें वर्दी का इस्तेमाल कानून की रक्षा के बजाय डर फैलाने और पैसे ऐंठने के लिए हो रहा है। अगर इस मामले में सख्त सजा नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में ना जाने कितने और बलवीर इसी तरह पुलिस की तानाशाही का शिकार बनते रहेंगे।

आख़िरी सवाल—क्या बरेली पुलिस अब भी नींद में है, या वर्दी से अपराधियों को निकालने का वक्त आ गया है?

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