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नैनीताल में प्रेस की स्वतंत्रता पर संकट: एसएसपी के खिलाफ उठी पत्रकारों की आवाज़
हल्द्वानी(नैनीताल) उत्तराखंड का नैनीताल जिला, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और शांति के लिए प्रसिद्ध है, अब एक नए कारण से चर्चा में है। नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) पर स्थानीय पत्रकारों द्वारा आरोप लगाया गया है कि वे अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर पत्रकारों का दमन कर रहे हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं।
हाल ही में हल्द्वानी के पत्रकारों ने इस मुद्दे को लेकर कुमाऊं के डीआईजी से मुलाकात की और एसएसपी के खिलाफ एक ज्ञापन सौंपा। पत्रकारों ने एसएसपी पर आरोप लगाया कि उन्होंने पत्रकारों को अनावश्यक नोटिस देकर भय का माहौल पैदा किया है, जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है। पत्रकारों का कहना है कि एसएसपी का यह कदम न केवल उनके पेशेवर अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता को भी खतरे में डाल रहा है।
पत्रकारों ने यह भी आरोप लगाया कि 12 अगस्त की घटना में, जब एक क्राइम रिपोर्ट के संबंध में अधिकारियों से जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी, तो इस मामूली घटना को आधार बनाकर एसएसपी ने पत्रकारों को धमकाने के लिए नोटिस जारी किया। इससे पहले भी पत्रकारों को डराने और दबाने के लिए इस तरह के नोटिस दिए गए हैं।
इस स्थिति ने नैनीताल और पूरे कुमाऊं क्षेत्र के पत्रकारों में आक्रोश भर दिया है। पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि यदि इस दमनकारी नीति के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो वे पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
यह सवाल उठता है कि एक पुलिस अधिकारी, जिसका कार्य कानून व्यवस्था बनाए रखना है, वह अगर खुद कानून के खिलाफ जाकर लोकतंत्र के स्तंभ को गिराने की कोशिश कर रहा है, तो यह किस दिशा में ले जाएगा? क्या नैनीताल के एसएसपी कुमाऊं के प्रहरी हैं या लोकतंत्र के दुश्मन? यह वक्त है कि प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से ले और पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा करे।
पत्रकारों की इस आवाज को नजरअंदाज करना लोकतंत्र के भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। अब देखना यह है कि डीआईजी और अन्य उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं, ताकि पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा हो सके।