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पूर्व विधायक के खेत में हुड़के की थाप पर की गई धान की रोपाई!
पहाड़ की लोक संस्कृति और सामूहिक खेती की पुरानी परंपरा को संजोते हुए उमेदपुर गांव में धान रोपाई का विशेष आयोजन हुआ।
रामनगर:जैसे-जैसे समय बदल रहा है, हमारी प्राचीन परंपराएं और सांस्कृतिक विधाएं धीरे-धीरे विलुप्त हो रही हैं। इसी धरोहर को संजोने के लिए “हमारी संस्कृति हमारी धरोहर” अभियान के तहत हर साल की तरह इस वर्ष भी उमेदपुर गांव स्थित पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत के “दा पहाड़ी ऑर्गेनिक फार्म” में कुमाउंनी परंपरा अनुसार हुड़के की थाप पर धान की रोपाई का आयोजन किया गया।
रविवार को आयोजित इस खास कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में गांव के लोग जुटे। हरियाली के बीच गूंजते हुड़किया बोल, कुमाउंनी गीत, और हुड़के की थाप ने पारंपरिक धान रोपाई को एक जीवंत लोक उत्सव में बदल दिया। यह आयोजन न केवल स्थानीय ग्रामीणों के लिए एक सांस्कृतिक पर्व था, बल्कि आज की पीढ़ी को अपनी पुरानी परंपराओं से जोड़ने का एक सफल प्रयास भी।
पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने इस मौके पर कहा, “यह हमारी पुरानी सांस्कृतिक विधा है, जो सामूहिक खेती के समय का हिस्सा रही है। जब किसान धान रोपाई के लिए खेतों में उतरते थे, तो उनकी थकान दूर करने और मनोबल बढ़ाने के लिए हुड़किया बोल गाए जाते थे। इस विधा का उद्देश्य था कि काम को थकावट के बजाय उत्सव में बदल दिया जाए।”
यह कार्यक्रम कुमाऊं की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का प्रयास है। बदलते समय के साथ-साथ यह विधा कहीं खोने लगी थी, लेकिन इस तरह के आयोजनों के माध्यम से इसे फिर से जीवित किया जा रहा है। हुड़के की थाप पर धान की रोपाई के दौरान ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों ने मिलकर इस परंपरा को फिर से जीवंत किया।
इस मौके पर गांव की महिलाओं ने पारंपरिक परिधान पहनकर गीत गाए और हाथों में हुड़का लेकर धान की रोपाई की। साथ ही, कार्यक्रम में शामिल ग्रामीणों ने बताया कि यह आयोजन उन्हें पुराने समय की याद दिलाता है, जब सामूहिक रूप से खेतों में काम किया जाता था।
कार्यक्रम में ललिता उपाध्याय, पुष्पा देवी, विमला आर्य और बीना रावत सहित कई गांववासी मौजूद रहे, जिन्होंने इस सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए रावत के इस प्रयास की सराहना की। इस मौके पर मौजूद लोगों ने कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल संस्कृति को जीवित रखते हैं, बल्कि सामूहिकता की भावना को भी मजबूत करते हैं।
समापन में रणजीत सिंह रावत ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य नई पीढ़ी को हमारी सांस्कृतिक धरोहर से अवगत कराना है, ताकि यह परंपरा आने वाले समय में भी बनी रहे।