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पहलगाम आतंकी हमला: कश्मीर की वादियों में खून की होली, देश का गुस्सा फूटा
पहलगाम आतंकी हमला: कश्मीर की वादियों में खून की होली, देश का गुस्सा फूटा
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, वह कल 22 अप्रैल 2025 को आतंक की काली साये में डूब गया। बैसरन घाटी में घूमने आए मासूम पर्यटकों पर आतंकियों ने कायराना हमला किया, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई और 17 लोग घायल हुए। आज 23 अप्रैल को भी सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ की खबरें सामने आ रही हैं, जिसने पूरे देश को गुस्से और आक्रोश से भर दिया है। यह हमला न सिर्फ कश्मीर की शांति को चुनौती है, बल्कि भारत की संप्रभुता पर सीधा प्रहार है।
22 अप्रैल: खून से लथपथ वादियां
मंगलवार दोपहर करीब 2:30 बजे, जब पर्यटक बैसरन घाटी की हरी-भरी वादियों में घुड़सवारी और प्रकृति का आनंद ले रहे थे, तभी सेना और पुलिस की वर्दी में छिपे 4-6 आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल, खुफिया ब्यूरो के अधिकारी मनीष रंजन, और कानपुर के सीमेंट कारोबारी शुभम द्विवेदी जैसे कई निर्दोष शहीद हुए। दो विदेशी पर्यटक भी इस नरसंहार का शिकार बने। लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस घिनौने कृत्य की जिम्मेदारी ली है।
23 अप्रैल: सर्च ऑपरेशन और मुठभेड़
आज सुबह से ही पहलगाम में भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, और CRPF की संयुक्त टीमें आतंकियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। खबर है कि दो आतंकी ढेर किए गए हैं, जबकि बाकी की तलाश जारी है। उरी सेक्टर में भी पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की कोशिश नाकाम की गई, जिसमें दो और आतंकी मार गिराए गए। सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है, और NIA की एक विशेष टीम आज पहलगाम पहुंची है। सूत्रों के मुताबिक, हमले में शामिल आतंकियों में से दो की पहचान आदिल गुरी और आसिफ शेख के रूप में हुई है, जिनमें से एक 2018 में पाकिस्तान से लौटा था।
पाकिस्तान का खूनी खेल
यह हमला कश्मीर में शांति और पर्यटन के बढ़ते कदमों को कुचलने की साजिश है। जांच एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल मुनीर के हालिया भड़काऊ बयान ने आतंकियों को उकसाया। 18 अप्रैल को रावलकोट में मुनीर ने कहा था, “जिहाद जारी रहेगा, कश्मीर में सिर काटे जाते रहेंगे।” यह बयान आतंकियों के लिए हरी झंडी था। सूत्रों के मुताबिक, हमले से पहले पाकिस्तानी आतंकी संगठनों ने रेकी करवाई थी, जिसमें दो स्थानीय लोगों, मोहम्मद आदिल और मोहम्मद आसिफ, ने मदद की। यह साबित करता है कि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा।
देश का गुस्सा, नेताओं का ऐक्शन
पहलगाम हमले ने पूरे भारत को झकझोर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली लौटते ही कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक बुलाई। गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर में डटे हैं, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा, “आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा।” उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई, और देहरादून में हाई अलर्ट जारी है। क्रिकेटर गौतम गंभीर, युवराज सिंह, और इरफान पठान जैसे हस्तियों ने भी इस हमले पर गुस्सा जताया। गंभीर ने कहा, “भारत इसका करारा जवाब देगा।”
विश्व की प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, यूएई, और ईरान ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। ट्रंप ने पीएम मोदी से फोन पर बात कर भारत को पूरा समर्थन देने का वादा किया। हालांकि, चीन और पाकिस्तान ने इस घटना पर संयुक्त बयान जारी कर भारत पर ही उंगली उठाने की कोशिश की, जो उनकी कुटिल मानसिकता को दर्शाता है।
आगे क्या?
पहलगाम का यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में सबसे घातक आतंकी वारदात है। यह न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग को और तेज करता है। कश्मीर की जनता ने भी इस हमले की निंदा की है, और कई मस्जिदों से शांति और एकता का संदेश दिया गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत अब सिर्फ निंदा तक सीमित रहेगा, या पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाएगा कि वह दोबारा ऐसी हिमाकत न कर सके?यह वक्त शोक मनाने का नहीं, बल्कि आतंक के आकाओं को जड़ से उखाड़ने का है। भारत का हर नागरिक इस नरसंहार का बदला चाहता है। क्या सरकार इस बार सर्जिकल स्ट्राइक से भी बड़ा कदम उठाएगी? समय बताएगा, लेकिन एक बात साफ है—भारत अब चुप नहीं रहेगा।




