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रामनगर का राजनीतिक रणभूमि में बदला कांग्रेस कार्यालय! आधी रात में घुसे ‘भाड़े के कब्जेदार’, पुलिस बनी तमाशबीन, रणजीत रावत धरने पर बैठे

रामनगर (नैनीताल)।
2016 से कांग्रेस का आधिकारिक कार्यालय बना भवन अब सियासी जंग का अखाड़ा बन गया है। कांग्रेस और भाजपा से जुड़ी हस्तियों के बीच यह विवाद अब सड़क पर आ गया है। आरोप है कि रामपुर से भाजपा विधायक के रिश्तेदार और कारोबारी नीरज अग्रवाल ने कांग्रेस कार्यालय को जबरन खाली कराने के लिए आधी रात को ‘भाड़े के गुंडे’ भेज दिए। ये लोग कांग्रेस कार्यालय में जबरन घुस गए और पूरी रात वहीं डटे रहे।

सुबह कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जैसे ही यह देखा, कार्यालय का ताला दोबारा जड़ दिया। लेकिन अंदर घुसे कथित लोग खुद को बंधक बताकर 112 पर कॉल करने लगे। पुलिस ने आनन-फानन में पहुंचकर ताला तोड़ दिया, लेकिन चौंकाने वाली बात ये रही कि अंदर मौजूद संदिग्ध लोगों को बाहर निकालने की जहमत तक नहीं उठाई। इससे माहौल और गर्मा गया।

पूर्व विधायक रणजीत रावत ने साफ कहा कि पुलिस को इन घुसपैठियों को बाहर निकालना चाहिए, लेकिन पुलिस ने उल्टा रावत से ही धक्का-मुक्की कर डाली। पुलिस की इस हरकत से आक्रोशित कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू कर दिया। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और पूर्व विधायक योगम्बर सिंह रावत के बेटे देशबंधु रावत, अंटू तिवारी, जावेद समेत एक अन्य कार्यकर्ता को हिरासत में ले लिया।

स्थिति बेकाबू होती देख रणजीत रावत वहीं धरने पर बैठ गए। थोड़ी ही देर में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण महरा, हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश, जसपुर विधायक आदेश चौहान, खटीमा विधायक भुवन कापड़ी और मांगलोर विधायक काजी निजामुद्दीन भी धरने में शामिल हो गए। पुलिस फोर्स की भारी तैनाती की गई है और कालाढूंगी के SDM परितोष वर्मा मौके पर वार्ता में जुटे हैं।

कांग्रेस का सीधा आरोप है कि भवन पर कब्जा कराने के लिए जो लोग भेजे गए, वे उत्तर प्रदेश से बुलाए गए अपराधी हो सकते हैं। विधायक सुमित हृदयेश ने कोतवाल अरुण सैनी को चेताते हुए कहा – “हमारे सब्र की परीक्षा मत लीजिए, नौजवान हैं, ज्यादा देर चुप नहीं बैठेंगे।”

उन्होंने सवाल उठाया – “जब पूरे प्रदेश में पुलिस सत्यापन अभियान चला रही है तो ये कौन लोग हैं जो आधी रात को कार्यालय में घुस आए? क्या ये किसी पेड हिस्ट्रीशीटर गैंग के सदस्य हैं?”

गौरतलब है कि आधी रात से भवन में घुसे ये लोग अभी तक बाहर नहीं निकले हैं। कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता पूरी ताकत से डटे हुए हैं। बाहर मौजूद भीड़ में उबाल है। अगर इन ‘भाड़े के कब्जेदारों’ में कोई अपराधी निकला या उनके पास से हथियार मिला, तो इससे न सिर्फ उनकी, बल्कि उन्हें भेजने वालों की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप
कांग्रेस का कहना है कि पुलिस पूरी तरह पक्षपात कर रही है। ताला तोड़कर घुसपैठियों को सुरक्षित अंदर बैठा देना और बाहर विरोध कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लाठीचार्ज में दबोचना – ये दर्शाता है कि पुलिस किसके इशारे पर चल रही है।

क्या कांग्रेस कार्यालय पर भाजपा का राजनीतिक कब्जा?
पूरा मामला इस ओर इशारा कर रहा है कि ये महज प्रॉपर्टी विवाद नहीं, बल्कि राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। जिस भवन में कांग्रेस का आठ साल से कार्यालय चल रहा है, उसे लेकर अचानक आधी रात को कब्जा करवाना और पुलिस की मूक भूमिका कई सवाल खड़े करती है।

अब देखना यह है कि प्रशासन क्या कार्यवाही करता हैँ.

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