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“माफ करना बाबू…” – 6 माह की नवविवाहिता की आत्महत्या ने मुज़फ्फरनगर को रुला दिया

“माफ करना बाबू…” – 6 माह की नवविवाहिता की आत्महत्या ने मुज़फ्फरनगर को रुला दिया

मुज़फ्फरनगर।
कभी-कभी ज़िंदगी इतनी निर्दयी हो जाती है कि इंसान जीते-जी मरने लगता है। मुज़फ्फरनगर की नवविवाहिता आकांक्षा शर्मा की आत्महत्या ने पूरे शहर को झकझोर दिया है। 6 माह पहले ही उसकी शादी बड़े सपनों और उम्मीदों के साथ हुई थी, लेकिन कुछ ही महीनों में उन सपनों की चकाचौंध एक अंधेरे गड्ढे में बदल गई।

रविवार की रात आकांक्षा ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर एक तस्वीर लगाई और उसके बाद ऐसा कदम उठा लिया, जिससे उसका परिवार ही नहीं, पूरा समाज सवालों के घेरे में आ गया।

उसके सुसाइड नोट की आखिरी लाइन थी –
“माफ करना बाबू…”

यह शब्द उसने अपने पति मयंक शर्मा को संबोधित करके लिखे थे। लेकिन इस नोट के भीतर छुपा दर्द उससे कहीं बड़ा था, जितना शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।


6 महीने की शादी, 6 महीने का संघर्ष

आकांक्षा की शादी मुज़फ्फरनगर के मयंक शर्मा से 6 महीने पहले बड़े धूमधाम से हुई थी। दोनों परिवारों ने रिश्ते को लेकर काफी उम्मीदें पाली थीं। शादी के शुरुआती दिन हर दंपत्ति की तरह सपनों और खुशियों से भरे थे। लेकिन धीरे-धीरे हालात बदलने लगे।

ससुराल में रहने वाली दो ननदें और सास से उसका रिश्ता ठीक नहीं था। सुसाइड नोट में आकांक्षा ने साफ-साफ लिखा है कि उसकी सास और ननदें मिलकर उसे लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित करती थीं। शादी के 6 महीने में ही उसके मनोबल को इतना तोड़ दिया गया कि आखिरकार उसने अपनी जान देने का फैसला कर लिया।


मौत से पहले का ‘व्हाट्सएप स्टेटस’

उसने आत्महत्या से पहले अपना व्हाट्सएप स्टेटस लगाया। स्टेटस में उसके दिल का दर्द साफ झलक रहा था। परिवार और करीबी लोग कहते हैं कि अगर उसी समय किसी ने आकांक्षा से बात कर ली होती, तो शायद आज हालात कुछ और होते।

लेकिन अब सिर्फ ‘काश’ बचा है –
काश समय रहते किसी ने उसकी आवाज़ सुन ली होती,
काश किसी ने उसके दर्द को समझ लिया होता।


सुसाइड नोट: “माफ करना बाबू”

पुलिस को आकांक्षा का सुसाइड नोट मिला है। उसमें उसने पति मयंक को संबोधित करते हुए लिखा –

“माफ करना बाबू… मैं तुम्हें छोड़कर जा रही हूँ। लेकिन अब और सहन नहीं कर सकती। मेरी सास और ननदें मुझे रोज़ टॉर्चर करती हैं। मैं टूट चुकी हूँ। मेरी मौत की वजह वही हैं।”

इन पंक्तियों को पढ़ते हुए पुलिस अफसर तक भावुक हो उठे। सोचने वाली बात यह है कि एक नई नवेली दुल्हन, जिसकी जिंदगी अभी शुरू ही हुई थी, आखिर ऐसा कदम क्यों उठा बैठी?


परिवार का दर्द: “हमारी बेटी को मार दिया गया”

आकांक्षा के मायके वाले गम से बेहाल हैं। उसका पिता बार-बार यही कह रहा है –
“मेरी बेटी ने खुदकुशी नहीं की, उसे मजबूर किया गया। मेरी बेटी को मार दिया गया है।”

मायकेवालों ने ससुराल पक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि शादी के बाद से ही बेटी को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी जाती थी। कभी दहेज को लेकर ताने दिए जाते, तो कभी छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा किया जाता।


पुलिस की जांच

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। शुरुआती जांच में सुसाइड नोट सामने आया है, जिसमें साफ लिखा गया है कि आकांक्षा ने अपनी सास और दो ननदों को जिम्मेदार ठहराया है।

पुलिस ने तीनों नामजद आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने और दहेज उत्पीड़न की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।

जांच अधिकारी ने कहा –
“यह मामला बेहद संवेदनशील है। सुसाइड नोट और परिवार की शिकायत के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”


समाज पर सवाल

यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक आईना है। आखिर क्यों आज भी नवविवाहिताएं ससुराल में सुरक्षित महसूस नहीं करतीं? क्यों अब भी बहू को घर की इज्जत समझने के बजाय बोझ और टारगेट बनाया जाता है?

जब कोई लड़की ससुराल जाती है, तो अपने साथ पूरे मायके का विश्वास लेकर जाती है। लेकिन जब वही लड़की कुछ महीनों में ताने, प्रताड़ना और अपमान की शिकार होकर जान दे देती है, तो सवाल सिर्फ एक घर पर नहीं, पूरे समाज पर उठते हैं।


“माफ करना बाबू” – एक शब्द, हजार सवाल

आकांक्षा का पति मयंक इस वक्त गहरे सदमे में है। उसकी शादीशुदा जिंदगी अभी शुरू ही हुई थी। लेकिन उसकी आंखों के सामने उसकी पत्नी ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली।

“माफ करना बाबू” – यह छोटा सा वाक्य अब मयंक की पूरी जिंदगी का बोझ बन गया है।

क्या उसने अपनी पत्नी का दर्द महसूस नहीं किया?
क्या वह उसकी रक्षा नहीं कर सका?
या फिर वह खुद भी हालात से मजबूर था?

ये सवाल अब हमेशा उसके साथ रहेंगे।


आँकड़ों में सच्चाई

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल भारत में हजारों महिलाएं दहेज प्रताड़ना और ससुराल के टॉर्चर से परेशान होकर आत्महत्या कर लेती हैं।

  • हर घंटे एक महिला दहेज के कारण अपनी जान दे देती है।
  • शादी के पहले 7 साल को सबसे संवेदनशील माना जाता है।
  • उत्तर प्रदेश इस मामले में देश के टॉप राज्यों में आता है।

आकांक्षा की मौत इस बड़े सामाजिक संकट की एक और कड़ी है।


पड़ोसियों की गवाही

पड़ोसियों का कहना है कि घर में अक्सर झगड़े की आवाजें आती थीं। कई बार आकांक्षा को रोते हुए भी देखा गया था। लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि हालात इतने बिगड़ जाएंगे।

एक पड़ोसी ने कहा –
“वो बहुत ही सीधी-साधी और हंसमुख लड़की थी। लेकिन शादी के बाद उसका चेहरा हमेशा बुझा-बुझा सा रहता था।”


कानून और न्याय

आकांक्षा की मौत ने एक बार फिर 498A (दहेज प्रताड़ना) जैसी धाराओं की अहमियत पर सवाल उठाया है। लेकिन असल समस्या कानून से ज्यादा सामाजिक सोच है।

जब तक ससुराल में बहू को बेटी की तरह न माना जाएगा, तब तक ऐसी घटनाएं रुकना मुश्किल है।


अंततः…

आकांक्षा की कहानी अधूरी रह गई। वह अपने पति के साथ एक नई जिंदगी शुरू करना चाहती थी। लेकिन ससुराल की प्रताड़ना ने उसके सारे सपनों को तोड़ दिया।

उसका आखिरी स्टेटस और “माफ करना बाबू” अब समाज के लिए एक चेतावनी है।

यह घटना सिर्फ आकांक्षा की नहीं, हर उस लड़की की है जो शादी के बाद अपने सपनों को ससुराल की चारदीवारी में कैद पाती है।

समाज को सोचना होगा –
क्या शादी सिर्फ दहेज और ताने का खेल है?
क्या एक लड़की की जिंदगी की कोई कीमत नहीं?


नतीजा

मुज़फ्फरनगर की यह दर्दनाक घटना हमें झकझोरती है। सवाल यह है कि कब तक हमारी बेटियां प्रताड़ना सहकर जान देती रहेंगी?

आकांक्षा का यह आखिरी संदेश –
“माफ करना बाबू…”
सिर्फ उसके पति के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए है।

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