उत्तराखण्ड
रामनगर को अपना मायका बताने वाले हरीश रावत का बड़ा दोहरा मापदंड, मरचूला बस हादसे के बावजूद गायब
रामनगर, उत्तराखंड: अपने भाषणों में अक्सर रामनगर को अपना “मायका” बताने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, आज मरचूला बस हादसे जैसी दुखद घटना के बावजूद रामनगर में नहीं दिखाई दिए। इस दर्दनाक हादसे में 36 निर्दोष लोगों की जान चली गई, और कई घायल अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं। इसके बावजूद, प्रदेश के विपक्ष का एक प्रमुख चेहरा और रामनगर का कथित शुभचिंतक हरीश रावत इस कठिन समय में रामनगर नहीं पहुँचे।
हादसे के शिकार लोगों के परिजन और रिश्तेदार गहरे दुख और पीड़ा में हैं। इस कठिन समय में एक नेता का कर्तव्य बनता है कि वह अपने लोगों के बीच रहे, उनके साथ खड़ा हो और उनके दुख-दर्द को बाँटे। लेकिन हरीश रावत, जो अक्सर स्थानीय मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते हैं और राजनीतिक यात्राओं के लिए रामनगर का दौरा करते हैं, इस बार एक वास्तविक संकट में नदारद रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि वह इस मुश्किल घड़ी में रामनगर की ओर न देखकर अन्यत्र अपने सामाजिक कार्यक्रमों में व्यस्त हैं।
आज जब इस बस दुर्घटना की खबर चारों ओर फैल चुकी है, तब प्रदेश के कई अन्य नेता और अधिकारी दुर्घटनास्थल पर पहुँचकर पीड़ितों और उनके परिजनों को संबल देने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन हरीश रावत, जो विपक्ष के एक प्रमुख नेता हैं और रामनगर से अपने गहरे संबंध का दावा करते हैं, अन्यत्र जाकर भाई दूज का कार्यक्रम मना रहे हैं। यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या रामनगर उनके लिए केवल एक राजनीतिक मंच मात्र है?
हर संकट के समय में एक नेता से लोगों की उम्मीदें होती हैं कि वह अपने लोगों का दुःख बांटे और मदद के लिए खड़ा हो। परन्तु इस मामले में हरीश रावत का गैर-मौजूद रहना उनके व्यवहार को एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है।