उत्तराखण्ड
रामनगर निकाय चुनाव: हार की आशंका में ‘डैमेज कंट्रोल’ मोड पर भाजपा
रामनगर। नगर पालिका परिषद के चुनाव में भाजपा की गाड़ी शुरूआती लड़ाई में ही डगमगाने लगी है। पार्टी उम्मीदवार मदन जोशी को कमजोर पड़ता देख भाजपा के बड़े नेता अब ‘डैमेज कंट्रोल’ की कवायद में जुट गए हैं। सांसद अनिल बलूनी खुद मैदान में उतरकर पार्टी के नाराज नेताओं से हाथ जोड़ने और उन्हें चुनाव प्रचार में लाने की विनती कर रहे हैं।
भाजपा की ‘पार्टी बैकफुट’ नीति
नगर पालिका चुनाव के लिए मदन जोशी को उम्मीदवार बनाना भाजपा के लिए गले की फांस बन गया है। पार्टी के भीतर ही असंतोष की लहर है। पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष गणेश रावत ने पार्टी की रणनीति को झटका देते हुए निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। उनकी साफ-सुथरी छवि और शिक्षित मतदाताओं में पकड़ ने भाजपा खेमे में खलबली मचा दी।
गणेश रावत की बढ़ती लोकप्रियता और संभावित नुकसान को भांपते हुए, सांसद अनिल बलूनी, विधायक दीवान सिंह बिष्ट और जिलाध्यक्ष प्रताप सिंह बिष्ट सहित अन्य नेता रावत को मनाने उनके ऑफिस पहुंचे। हालांकि, यह दृश्य किसी ड्रामे से कम नहीं था – नेताओं का पूरा जत्था नाराज नेताओं को समझाने के लिए एक-एक दरवाजा खटखटाता रहा।
पार्टी में ‘मदनमय’ समस्या
मदन जोशी को उम्मीदवार बनाए जाने से पार्टी का बड़ा हिस्सा नाराज है। नगर अध्यक्ष के तौर पर मदन जोशी के ‘सबको साथ लेकर चलने’ के दावे हकीकत में ‘कुछ को ही साथ रखने’ तक सीमित रहे। उनकी कार्यशैली और विधायक दीवान सिंह बिष्ट के प्रति कार्यकर्ताओं की नाराजगी ने स्थिति और बिगाड़ दी।
डैमेज कंट्रोल का ‘गहन अभ्यास’
भाजपा ने अब अपने नाराज नेताओं को मनाने का सिलसिला शुरू किया है। गणेश रावत के बाद भूपेंद्र खाती और भावना भट्ट को भी मनाने की कवायद हुई। यह सब तब हो रहा है, जब भाजपा के उम्मीदवार पहले ही ‘हार की आशंका’ से जूझ रहे हैं।
पार्टी की मौजूदा स्थिति देखकर लगता है कि भाजपा के नाराज नेताओं को मनाने में जितना समय और मेहनत लग रही है, उतना चुनाव प्रचार में लगाया होता तो शायद मदन जोशी का आत्मविश्वास मजबूत होता। फिलहाल, रामनगर के मतदाता यह तमाशा देखकर यही सोच रहे हैं कि इस चुनाव में असली लड़ाई भाजपा की भीतर ही है।
तो, इस बार का चुनाव नहीं, बल्कि ‘मनाने का महायज्ञ’ है! भाजपा के पास जीतने की रणनीति हो न हो, लेकिन नाराजगी दूर करने का मिशन जरूर है।इतनी कवायद के बाद सांसद अनिल बलूनी को अब प्रत्याशी चयन में हुई गलती का एहसास हो गया होगा.