उत्तराखण्ड
रामनगर में भाजपा के मदन जोशी ने नामांकन के साथ छेड़ी ‘विवादित बयानबाजी’ की बिसात
रामनगर। नगर पालिका के अध्यक्ष पद के लिए भाजपा उम्मीदवार मदन जोशी ने सोमवार को ढ़ोल-नगाड़ों और समर्थकों की भारी भीड़ के साथ तहसील पहुंचकर अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर उनके साथ स्थानीय विधायक दीवान सिंह बिष्ट सहित भाजपा के कई वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।
हालांकि, नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान जोशी ने जो बयान दिया, उसने विवादों को जन्म दे दिया। जोशी ने रामनगर को ‘रहमत नगर’ न बनने देने की बात कहते हुए दावा किया कि वह बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालेंगे। उन्होंने ‘बटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे विवादित नारों को दोहराते हुए इशारा किया कि उनका चुनाव प्रचार सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने और ध्रुवीकरण की राजनीति पर आधारित होगा।
राजनीति में धार्मिक ध्रुवीकरण का बढ़ता खेल
जोशी का बयान स्पष्ट रूप से रामनगर के सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाला है। एक स्थानीय निकाय चुनाव में इस तरह के बयान देना यह साबित करता है कि भाजपा इस चुनाव को भी राष्ट्रीय राजनीति के एजेंडे पर लाने की कोशिश कर रही है। जोशी का ‘रहमत नगर’ वाला बयान और ‘बांग्लादेशी घुसपैठियों’ को मुद्दा बनाना, क्षेत्र के शांतिपूर्ण माहौल में तनाव पैदा कर सकता है।
विरोधियों ने की निंदा
जोशी के इस बयान पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता ने कहा, “रामनगर हमेशा से सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल रहा है। भाजपा इसे अपने राजनीतिक फायदे के लिए बांटने की कोशिश कर रही है।” वहीं, समाजसेवी संगठनों ने भी इस बयान की निंदा की है।
चुनावी मैदान का बदला मिजाज
जोशी का यह बयान चुनावी माहौल को गर्म करने के संकेत दे रहा है। सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण की राजनीति से रामनगर के लोगों को सावधान रहना होगा। क्योंकि इस तरह की बयानबाजी न केवल समाज में दरार डालती है, बल्कि विकास जैसे मूल मुद्दों को भी हाशिये पर धकेल देती है।
क्या भाजपा का यह दांव उल्टा पड़ेगा?
सवाल यह है कि क्या रामनगर की जनता इस तरह की बयानबाजी को स्वीकार करेगी या फिर विकास और प्रशासनिक सुधार के मुद्दों को प्राथमिकता देगी। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा के इस आक्रामक प्रचार का जनता पर कोई प्रभाव पड़ेगा या नहीं।