उत्तराखण्ड
सियासत की गलियों में गूंजे सवाल, जब विधायक के भाई पर चढ़ा कानून का जाल।
चंपावत जिले के बनबसा थाने में रानीखेत से भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल और उनके साथी के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज हुआ है। ये मामला तब और गंभीर हो जाता है, जब सत्ता से जुड़े लोगों पर इस तरह के अपराधों के आरोप लगते हैं, खासकर जब एसएसबी ने खुद इन्हें चेकिंग के दौरान पकड़ा और थाने के हवाले किया।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, सतीश नैनवाल और उनके साथी के पास से 7.65 एमएम के 40 कारतूस बरामद हुए, जिनका वे कोई सही प्रमाण नहीं दे पाए। एसपी चंपावत के अनुसार, भले ही इनके पास आर्म्स लाइसेंस हो, लेकिन ये कारतूस सीमा के बाहर ले जाकर लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। सवाल उठता है कि सीमा पार जाने से पहले इन कारतूसों की मौजूदगी को लेकर कोई सतर्कता क्यों नहीं बरती गई?
चेकिंग के दौरान बड़ा खुलासा
शुक्रवार को एसएसबी 57वीं वाहिनी के जवानों ने बनबसा सीमा पर भारत से नेपाल जा रहे सतीश नैनवाल और उनके साथी से 40 कारतूस जब्त किए। यह चेकिंग अभियान कमांडेंट मनोहर लाल के निर्देश पर चलाया गया था, जो कि भारत-नेपाल सीमा पर अपराध नियंत्रण के लिए था।
मामले की जांच जारी, पर क्या कार्रवाई होगी?
आईजी की पुष्टि के अनुसार, सतीश नैनवाल और उनके साथी के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या जांच निष्पक्ष होगी या फिर राजनीतिक प्रभाव के चलते इसे ढका जाएगा?
निष्कर्ष: क्या कानून सबके लिए समान?
यह मामला सिर्फ आर्म्स एक्ट का नहीं, बल्कि कानून के समान पालन और राजनीतिक दखल का भी है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और क्या सत्ता से जुड़े लोगों को भी कानून के तहत सजा मिलती है, या फिर यह मामला भी अन्य कई मामलों की तरह धुंधला हो जाएगा।