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उत्तराखण्ड

“लोकतंत्र का गला घोंटा गया: भाजपा नेताओं पर अपहरण, हत्या के प्रयास और दंगे का मुकदमा”

“लोकतंत्र का गला घोंटा गया: भाजपा नेताओं पर अपहरण, हत्या के प्रयास और दंगे का मुकदमा”

नैनीताल — उत्तराखंड के जिला पंचायत चुनाव में जो हुआ, वह लोकतंत्र के माथे पर काला धब्बा है। सत्ता की कुर्सी पर बैठी भाजपा के नेता खुलेआम कानून को रौंदते रहे और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट, जिला मंत्री प्रमोद बोरा, निवर्तमान जिला पंचायत उपाध्यक्ष आनंद सिंह दरम्वाल समेत 11 नेताओं और कार्यकर्ताओं पर अपहरण, हत्या के प्रयास और दंगे की धाराओं में मुकदमा दर्ज हो चुका है।

गुरुवार सुबह लगभग 10:15 बजे जिला पंचायत सदस्य प्रमोद सिंह कोटलिया और उनके सहयोगियों पर जिला पंचायत कार्यालय के बाहर दिनदहाड़े जानलेवा हमला किया गया। यही नहीं, पुलिस और विधायक-सांसदों की मौजूदगी में उनका कथित रूप से अपहरण कर लिया गया।

हमलावरों के नाम, पद और सत्ता का रसूख

  1. आनंद दरमवाल – निवर्तमान जिला पंचायत उपाध्यक्ष नैनीताल, पूर्व ब्लॉक प्रमुख हल्द्वानी
  2. प्रताप बिष्ट – जिलाध्यक्ष, भाजपा नैनीताल
  3. चतुर बोरा
  4. प्रमोद बोरा – जिला मंत्री, भाजपा
  5. बाबी भाकुनी
  6. विशाल नेगी
  7. पंकज नेगी
  8. शुभम दरमवाल
  9. कोमल दरमवाल
  10. प्रखर शाह

तहरीर के मुताबिक, पीड़ित पक्ष के साथ न सिर्फ बेरहमी से मारपीट हुई, बल्कि मोबाइल फोन छीनकर साक्ष्य मिटाने की कोशिश भी की गई। यह सब विधायक सुमित हृदेश, पूर्व विधायक संजीव आर्या, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या और दर्जनों प्रत्यक्षदर्शियों के सामने हुआ।

लोकतंत्र या जंगलराज?

यह कोई सामान्य चुनावी झड़प नहीं थी। यह एक सुनियोजित राजनीतिक गुंडागर्दी थी, जिसमें सत्ताधारी पार्टी के पदाधिकारी खुद सड़कों पर अपराधी की भूमिका निभाते नजर आए। आरोपियों की सूची में शामिल नाम सिर्फ राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं, बल्कि पार्टी के उच्च पदाधिकारी हैं। सवाल यह है कि जब भाजपा जिलाध्यक्ष और जिला मंत्री जैसे लोग कानून की धज्जियां उड़ाएं, तो आम आदमी न्याय की उम्मीद किससे करे?

पुलिस की चुप्पी, जनता का गुस्सा

पुलिस का दावा है कि मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है, लेकिन हकीकत यह है कि वारदात के दौरान पुलिस वहीं मौजूद थी और उसने हमलावरों को रोकने की कोई कोशिश नहीं की। जनता पूछ रही है—
“क्या भाजपा नेताओं पर कार्रवाई होगी, या ये भी सत्ता की ढाल के पीछे बच निकलेंगे?”

राजनीतिक गलियारों में भूचाल

पूरा जिला इस घटना से सन्न है। सोशल मीडिया पर लोग इस घटना को ‘भाजपा का लोकतांत्रिक कत्ल’ बता रहे हैं। विपक्षी दल कह रहे हैं कि भाजपा ने उत्तराखंड को ‘गुंडाराज’ में बदल दिया है, जहां सत्ता पक्ष चुनाव को बंदूक और लाठी से जीतना चाहता है।

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