उत्तराखण्ड
रामनगर में अतिक्रमण विरोधी अभियान पर रोक लगाने की मांग को लेकर विधायक कार्यालय पर धरना
रामनगर (नैनीताल)रामनगर में अतिक्रमण विरोधी अभियान पर रोक लगाने, भारतीय वन अधिनियम 1927 के उत्तरांचल संशोधन को रद्द करने और वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने की मांग को लेकर संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदर्शन किया। ग्रामीणों की प्रमुख मांग थी कि जो व्यक्ति जहां पर निवास कर रहा है, उसे उसी स्थान पर नियमित कर मालिकाना हक दिया जाए।
संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट के कार्यालय पर धरना दिया गया। हालांकि, विधायक एक बार फिर जनता की समस्याएं सुनने के लिए कार्यालय में मौजूद नहीं थे। कार्यालय के गेट को बंद कर दिया गया, और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया, जिससे प्रदर्शनकारी जमीन पर बैठकर धरने पर मजबूर हो गए।
विधायक की गैरमौजूदगी में जनता का आक्रोश बढ़ता देख, रामनगर कोतवाल अरुण सैनी ने समिति का ज्ञापन विधायक को व्हाट्सएप पर भेजा। इसके बाद विधायक ने देहरादून से फोन द्वारा जनता को संबोधित किया और उनकी मांगों को शासन स्तर पर हल करने का आश्वासन दिया।
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 2001 में लाए गए उत्तरांचल संशोधन के बाद से वन अधिकारियों को नोटिस जारी करने, जांच करने और फैसले देने के अधिकार मिल गए हैं, जो कि संविधान के अनुच्छेद 50 और न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों का उल्लंघन है। वक्ताओं ने जंगल के काले कानूनों को रद्द करने की मांग की।
वक्ताओं ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान सांसद अनिल बलूनी ने वादा किया था कि वन ग्रामों को नहीं हटाया जाएगा और सभी को बुनियादी सुविधाएं दी जाएंगी, जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया।
संयुक्त संघर्ष समिति ने यह भी घोषणा की कि 13 सितंबर को शाम 6 बजे एकता चौक, पूछड़ी में आगामी रणनीति तय करने के लिए बैठक आयोजित की जाएगी।
सभा को समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार, उपपा नेता प्रभात ध्यानी, इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित रुहेला, आइसा के सुमित, महिला एकता मंच की सरस्वती जोशी, रेनू, और ललित उप्रेती सहित कई अन्य नेताओं ने संबोधित किया।
कार्यक्रम में ठेका मजदूर कल्याण समिति और प्रगतिशील महिला एकता केंद्र सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण और महिलाएं शामिल रहीं।