उत्तराखण्ड
रामनगर में BJP के लिए बढ़ी मुश्किलें: गणेश रावत के नामांकन से निकाय चुनाव में खतरा
रामनगर। नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए निकाय चुनाव में हलचल तेज हो गई है। भाजपा नेता और पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष गणेश रावत ने भी नामांकन दाखिल कर दिया है, जिससे राजनीतिक पारा चढ़ गया है।
गणेश रावत का चुनाव में उतरना भाजपा के आधिकारिक प्रत्याशी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। स्थानीय राजनीति के जानकार मानते हैं कि यदि गणेश रावत अंतिम समय तक मैदान में डटे रहे, तो रामनगर का भाजपा का मजबूत गढ़ ढह सकता है।
पढ़े-लिखे और बुद्धिजीवी मतदाताओं का गणेश की ओर रुझान
रामनगर में भाजपा को वोट देने वाले नौकरीपेशा और बुद्धिजीवी वर्ग के मतदाता हमेशा से पार्टी का मजबूत आधार रहे हैं। लेकिन गणेश रावत के मैदान में आने से यह वर्ग भाजपा से खिसककर उनके पक्ष में जा सकता है। गणेश रावत की छवि एक पढ़े-लिखे, प्रभावशाली और जमीनी नेता की है, जिसने छात्र राजनीति से अपनी पहचान बनाई है।
आंतरिक कलह बढ़ने के संकेत
भाजपा के अंदर इस फैसले से असंतोष बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी हाईकमान के लिए यह स्थिति चिंता का विषय है क्योंकि यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर भाजपा को कमजोर कर सकता है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।
क्या गणेश लेंगे नाम वापस?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पार्टी के दबाव में आकर गणेश रावत नाम वापस लेंगे? यदि ऐसा नहीं हुआ, तो भाजपा को बड़ी सियासी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
रामनगर के निकाय चुनाव अब एक रोचक मोड़ पर हैं। भाजपा को अंदरूनी कलह और मतदाताओं की नाराजगी से बचने के लिए रणनीतिक कदम उठाने होंगे। गणेश रावत के नामांकन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले दिनों में रामनगर का राजनीतिक समीकरण अप्रत्याशित रूप से बदल सकता है।