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उत्तराखण्ड

खटीमा से हाथी दांत तस्कर गिरफ्तार, उत्तराखंड में फैला है अंतर्राज्यीय वन्यजीव माफिया का जाल!

खटीमा से हाथी दांत तस्कर गिरफ्तार, उत्तराखंड में फैला है अंतर्राज्यीय वन्यजीव माफिया का जाल!

उत्तराखंड की धरती पर वन्यजीवों के शिकारियों का खूनी खेल जारी है और इस बार एसटीएफ की कार्रवाई ने उस शर्मनाक सच्चाई को बेनकाब किया है, जिसे लंबे समय से नज़रअंदाज़ किया जा रहा था। हाथी जैसे बेजुबान, मासूम और संरक्षित वन्य जीव का शिकार कर उसका दांत बेचने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफाश खटीमा में हुआ है। उत्तराखंड एसटीएफ की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) और वन विभाग की संयुक्त टीम ने एक तस्कर को 2 हाथी दांत के साथ धर दबोचा है। यह कोई मामूली अपराध नहीं, बल्कि वन्यजीवों की दुनिया के सबसे खतरनाक काले धंधे की झलक है।

गिरफ्तार तस्कर उत्तम सिंह, खटीमा का निवासी है, जिसकी उम्र मात्र 32 साल है, लेकिन हरकतें ऐसी कि शर्म भी शरमा जाए। नेपाल से लेकर यूपी-उत्तराखंड सीमा तक फैले नेटवर्क में वह सालों से हाथी जैसे संरक्षित जानवरों की हत्या कर दांतों की तस्करी कर रहा था। एसटीएफ को लंबे समय से उसके बारे में इनपुट मिल रहे थे। खटीमा के जंगलों में मिली उसकी लोकेशन ने टीम को चौकन्ना किया और फिर जो ऑपरेशन चला, उसने इस शिकारी माफिया का असली चेहरा दिखा दिया।

ये दांत सिर्फ हाथी के नहीं, इंसानियत के मुंह पर तमाचा हैं!
जिन हाथियों की हड्डियों पर ये दांत उगे थे, वे आज किसी शिकारी की गोली का शिकार बनकर मिट्टी में मिल चुके हैं। और उनके अवशेष बाजार में बिकने को तैयार थे—शानदार कीमत पर। क्या यही है इंसान का विकास? क्या इसी के लिए हमने जंगलों को तहस-नहस किया?

गौर करने वाली बात ये है कि हाथी ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम’ की पहली अनुसूची में आता है, जिसका मतलब है कि उसका शिकार करना सबसे गंभीर अपराधों में गिना जाता है। इसके बावजूद उत्तराखंड जैसे शांत और प्राकृतिक राज्य में इस तरह के तस्कर कैसे फल-फूल रहे हैं?

क्या जंगलों की निगरानी केवल कागजों तक सीमित है?
आज अगर एसटीएफ ने सतर्कता न दिखाई होती तो ये तस्कर दो हाथी दांत के साथ फरार हो गया होता। इससे बड़ा सवाल ये उठता है कि जब तक कोई ऑपरेशन न चले, तब तक ये माफिया खुलेआम तांडव करता रहता है?

गिरफ्तारी के बाद पूछताछ जारी है कि ये हाथी कहां मारे गए, किस जंगल में और किन लोगों की मिलीभगत से। क्योंकि साफ है कि यह कोई अकेला आदमी नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह का सदस्य है। अब जरूरत है कि इस गिरोह की जड़ें उखाड़ी जाएं।

बरामदगी – प्रकृति के दर्द की दस्तावेज़!

  • 02 हाथी दांत
  • एक मोटर साइकिल (UK 06 Y 8347)
    दांतों की लंबाई और गोलाई –
    15cm x 11cm व 10.5 cm x 10cm

एसटीएफ और वन विभाग की टीम ने दिखाई बहादुरी
निरीक्षक पावन स्वरुप और उनकी टीम के साथ रेंजर नवीन रैखवाल की टीम ने इस संयुक्त ऑपरेशन में जान की बाज़ी लगाकर अपराधियों को बेनकाब किया। ऐसे अधिकारी ही आज के दौर में जंगल और जानवरों के असली रक्षक हैं।

अब जनता की जिम्मेदारी!
एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने अपील की है कि अगर किसी को भी वन्यजीवों की तस्करी या शिकार की सूचना मिले तो तत्काल पुलिस या एसटीएफ से संपर्क करें। यह सिर्फ कानून की बात नहीं है, यह प्रकृति की पुकार है—अपने जंगल, जानवर और जैव विविधता को बचाने की।

तस्करों को मिले कठोरतम सजा, गिरोह की जड़ तक पहुंचे कार्रवाई!
सरकार और वन विभाग को अब सिर्फ सतर्कता नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति अपनानी होगी। तस्करों को संरक्षण देने वाले नेटवर्क को बेनकाब करना ही असली सफलता होगी। हाथियों की हत्या करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए।

जंगलों का न्याय अभी अधूरा है, कार्रवाई तब पूरी होगी जब इस माफिया का अंत होगा!

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