उत्तराखण्ड
रामनगर के अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा की घोर लापरवाही: प्रशासन सख्त, नोटिस जारी
रामनगर, 17 नवंबर, 2024:
रामनगर के अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा मानकों की गंभीर खामियां उजागर हुई हैं। जिला मजिस्ट्रेट नैनीताल वंदना के निर्देश पर आज किए गए संयुक्त निरीक्षण में ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, जिन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
निरीक्षण में संजीवनी अस्पताल, सिंघल नर्सिंग होम, और बाबा नीम करौली अस्पताल (पीरुमदारा) जैसे प्रतिष्ठानों को अग्नि सुरक्षा के बुनियादी उपायों में विफल पाया गया। इन अस्पतालों में फायर एग्जिट साइन, फायर अलार्म सिस्टम, और पानी के हाइड्रेंट जैसे अनिवार्य उपकरण अनुपस्थित थे। प्रशासन ने इसे गंभीर लापरवाही करार दिया और तुरंत नोटिस जारी करते हुए एक सप्ताह के भीतर मानकों का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
राम दत्त जोशी संयुक्त चिकित्सालय में भी स्थिति कम चिंताजनक नहीं है। यहां के सभी वार्डों में अग्नि अलार्म सिस्टम तक मौजूद नहीं है। यह स्थिति न केवल मरीजों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि अस्पताल प्रशासन की गैर-जिम्मेदारी को भी दर्शाती है। एसडीएम राहुल शाह ने अस्पताल प्रबंधन को कड़ी फटकार लगाते हुए सभी वार्डों में फायर अलार्म सिस्टम तुरंत स्थापित करने का निर्देश दिया।
हालांकि, इस निरीक्षण में बृजेश अस्पताल ने राहत की सांस दी। इसे फायर विभाग और NABH मानकों के अनुरूप पाया गया। अस्पताल की मजबूत सुरक्षा व्यवस्था की सराहना निरीक्षण टीम द्वारा की गई।
लापरवाह अस्पतालों पर होगी कार्रवाई
अग्नि सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मानकों में चूक को लेकर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। एसडीएम राहुल शाह ने चेतावनी दी है कि निर्धारित समय सीमा में सुधार न करने वाले अस्पतालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह स्थिति बेहद चिंताजनक है कि जहां मरीज इलाज के लिए अपनी जान बचाने की उम्मीद करते हैं, वहीं अस्पतालों की लापरवाही उन्हें मौत के मुंह में धकेल सकती है। अग्नि सुरक्षा जैसे अनिवार्य उपाय न केवल कानूनी आवश्यकता हैं, बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी भी हैं।
प्रशासन की अपील और अगला कदम
जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अस्पतालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसे निरीक्षण नियमित रूप से जारी रहेंगे। गैर-अनुपालन करने वाले संस्थानों पर सख्त कार्रवाई होगी। रामनगर क्षेत्र के नागरिकों को आश्वासन दिया गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
क्या स्वास्थ्य के मंदिर बन गए हैं मौत के जाल? यह सवाल इन अस्पतालों की लापरवाही को देखते हुए बेहद प्रासंगिक है। अब देखना यह है कि दोषी अस्पताल समय रहते अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हैं या फिर प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी पड़ती है।