उत्तराखण्ड
हाईकोर्ट ने रानीखेत रोड स्थित दुकानों के ध्वस्तीकरण पर लगाई रोक
हाईकोर्ट ने रानीखेत रोड स्थित दुकानों के ध्वस्तीकरण पर लगाई रोक
रामनगर(नैनीताल) रानीखेत रोड पर स्थित दुकानदारों को राहत मिली है, क्योंकि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वन विभाग द्वारा प्रस्तावित ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। यह आदेश उन दुकानदारों की याचिका के बाद आया, जो दशकों से इस क्षेत्र में अपना व्यवसाय चला रहे हैं और जिनकी रोज़ी-रोटी का एकमात्र स्रोत यही दुकानें हैं।
इस मामले में याचिका दाखिल करने वाले दुकानदार नवीन चंद्र पांडे, धीरेंद्र सजवान, पंकज अग्रवाल, नंदन सिंह, बहादुर सिंह राणा, दीपक सागर और देवेंद्र सिंह रावत थे। इन सभी ने अपने वकील दुष्यंत मैनाली के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाया। उनकी याचिका में यह तर्क दिया गया कि ये दुकानें नगर पालिका क्षेत्र में आती हैं और दुकानदार नियमित रूप से नगरपालिका को कर अदा करते हैं। इसके बावजूद, वन विभाग इन दुकानों को फॉरेस्ट कंपाउंड से सटे होने के आधार पर अवैध घोषित कर रहा है और ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ा रहा है।
दुकानदारों का कहना है कि यह विवाद नया नहीं है। 1960 से ही नगर पालिका और वन विभाग के बीच इन दुकानों की सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। कई बार अदालत द्वारा आदेशित होने के बावजूद इस सीमा का संयुक्त सर्वे नहीं हो सका है। 25 साल पहले भी वन विभाग ने दुकानदारों को नोटिस जारी किए थे, लेकिन तब भी वन विभाग अदालत में अपनी सीमा को साबित करने में असफल रहा था। दुकानदारों के अनुसार वर्तमान में इस क्षेत्र में कोई जंगल नहीं है, लेकिन फॉरेस्ट कंपाउंड कॉलोनी से सटे होने के कारण वन विभाग वन अधिनियमों का हवाला देकर उत्पीड़नात्मक कार्रवाई कर रहा है।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। इसका मतलब है कि फिलहाल इन दुकानों को ध्वस्त नहीं किया जाएगा। साथ ही, कोर्ट ने दुकानदारों को बेदखली नोटिस जारी करने की प्रक्रिया और डीएफओ रामनगर की अदालत में चल रही सुनवाई पर भी रोक लगा दी है।
इस फैसले से दुकानदारों ने राहत की सांस ली है, लेकिन अब सभी की निगाहें इस पर हैं कि अदालत द्वारा संयुक्त सर्वे का आदेश कब और कैसे अमल में लाया जाएगा।