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उत्तराखण्ड

हाईकोर्ट ने नैनीताल विकास प्राधिकरण पर दिखाई सख्ती, अवमानना कार्यवाही की चेतावनी

हाईकोर्ट ने नैनीताल विकास प्राधिकरण पर दिखाई सख्ती, अवमानना कार्यवाही की चेतावनी

नैनीताल। ग्राम सभा पुछड़ी में 200 से अधिक पक्के घरों पर चल रही ध्वस्तीकरण की कार्यवाही को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिला विकास प्राधिकरण पर कड़ा रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने साफ सवाल दागा – “क्यों न प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कठोर कार्रवाई की जाए?”

मामला पूर्व सैनिक शाहिद खान द्वारा दाखिल याचिका का है। उनके अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने कोर्ट को बताया कि ग्राम सभा की पंजीकृत और खरीदी गई जमीनों पर बने मकानों पर प्राधिकरण ने मनमाने ढंग से नोटिस चिपका दिए। न तो पंजीकृत डाक से कोई नोटिस भेजा गया, न ही मकान मालिकों को सुनवाई का अवसर दिया गया। दस्तावेजों की जांच किए बिना एकतरफा ध्वस्तीकरण आदेश पारित कर दिए गए।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के तय किए गए दिशानिर्देशों की भी खुली अवहेलना की है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि बिना उचित प्रक्रिया अपनाए किसी भी भवन पर बुलडोज़र नहीं चलाया जा सकता।

हाईकोर्ट ने सरकार से एक सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है और पूछा है कि आखिर क्यों न प्राधिकरण के अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई शुरू कर दी जाए। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को यह भी कहा कि यदि इस बीच प्राधिकरण द्वारा किसी भी तरह की ध्वस्तीकरण कार्यवाही की जाती है तो उसे तुरंत कोर्ट के संज्ञान में लाया जाए।

यह मामला अब सिर्फ पुछड़ी ग्राम सभा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे नैनीताल ज़िले में प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर गया है।

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