उत्तराखण्ड
देहरादून में 2 दिन की नवजात बच्ची को छोड़ने वाला कोई और नहीं, बल्कि खुद उसका पिता निकला कॉलर – CCTV फुटेज से हुआ खुलासा
देहरादून में 2 दिन की नवजात बच्ची को छोड़ने वाला कोई और नहीं, बल्कि खुद उसका पिता निकला कॉलर – CCTV फुटेज से हुआ खुलासा
देहरादून | एटम बम न्यूज
देहरादून शहर की संवेदनाओं को झकझोर देने वाले उस मामले का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसमें दो दिन पहले एक नवजात बच्ची को सड़क किनारे लावारिस हालत में छोड़ दिया गया था। मामला कोई साधारण परित्याग नहीं था—पुलिस जांच में सामने आया है कि बच्ची को छोड़ने वाला कोई और नहीं, बल्कि खुद उसका पिता था, जिसने मासूम को छोड़ने के बाद खुद ही चाइल्ड हेल्पलाइन पर फोन किया था।
❖ क्या था मामला?
3 जुलाई की देर रात क्लेमेंटाउन थाना क्षेत्र के पंत मार्ग के पीछे एक नवजात बालिका सड़क किनारे पड़ी मिली। सूचना पर पहुंची पुलिस ने तुरंत बच्ची को अस्पताल पहुंचाया और प्राथमिक इलाज के बाद उसे शिशु निकेतन, केदारपुरम में दाखिल कराया गया। बच्ची की हालत स्थिर बताई जा रही है।
❖ एसएसपी ने लिया संज्ञान, CCTV फुटेज से टूटी चुप्पी
प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए एसएसपी देहरादून ने इसे प्राथमिकता पर लिया और क्लेमेंटाउन थाने को जांच के निर्देश दिए। पुलिस टीम ने घटनास्थल के आसपास लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली। इसमें एक स्कूटी पर सवार युवक और युवती को बच्ची को छोड़ते हुए देखा गया।
इसके बाद पुलिस ने नवजात की सूचना देने वाले कॉलर के नंबर को ट्रेस किया, तो हैरान करने वाला सच सामने आया—कॉलर कोई राहगीर नहीं, बल्कि बच्ची का जैविक पिता था। उसने खुद अपनी प्रेमिका के साथ मिलकर बच्ची को सड़क किनारे छोड़ा और फिर नाटक करते हुए हेल्पलाइन पर फोन कर दिया।
❖ प्रेम संबंध का नतीजा, और सामाजिक भय का अंधेरा
पूछताछ में युवक ने बताया कि उसकी प्रेमिका देहरादून के एक निजी कॉलेज में पढ़ती है और दोनों के बीच पिछले 2-3 वर्षों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती गर्भवती हो गई और 2 जुलाई को उसने इस बच्ची को जन्म दिया। लेकिन पारिवारिक सामाजिक दबाव और “इज्जत” के डर से दोनों ने इस नन्हीं जान को यूं ही छोड़ देने का अमानवीय कदम उठाया।
❖ अब आगे क्या?
पुलिस ने युवक और युवती दोनों के परिजनों को थाने बुलाया है। इनसे विस्तार से पूछताछ की जा रही है और काउंसलिंग कराई जा रही है। मामले में वैधानिक कार्यवाही जारी है, और इस बात की भी जांच हो रही है कि क्या दोनों बालिग हैं और उनके इस कृत्य में किसी और की भूमिका रही।
❖ ATOM BOMB की टिप्पणी:
इश्क के नाम पर एक मासूम को यूं तिल-तिल मरने को छोड़ देना किसी भी हाल में माफ नहीं किया जा सकता। यह घटना सिर्फ एक परिवार की विफलता नहीं, हमारे समाज की भी असफलता है, जहां रिश्तों के बीच “इज्जत” की दीवारें इतनी ऊंची हैं कि उसके नीचे इंसानियत दम तोड़ देती है।
क्या एक नाजायज रिश्ते से जन्मी जान को जिंदा छोड़ देने से पाप कम हो जाता है?
क्या प्रेम का मतलब सिर्फ अपनी इच्छाओं की पूर्ति है, और परिणाम को लावारिस छोड़ देना?
समाज को अब सोचना होगा – और कानून को सख्त होना होगा। ताकि कोई और मासूम यूं “प्यार” की बलि न चढ़े।
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🖊 खुशाल रावत
संपादक – एटम बम, देहरादून
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