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उत्तराखण्ड

रामनगर निकाय चुनाव: भाजपा में भीतरघात की आग, टिकट बंटवारे पर मचा घमासान

रामनगर। रामनगर नगर पालिका चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर उठते विद्रोह के सुर इस बार भी पार्टी को भारी पड़ सकते हैं। भाजपा, जो यहां कभी भी निकाय चुनाव नहीं जीत पाई है, इस बार भी हार की ओर बढ़ती नजर आ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह टिकट बंटवारे में स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं की अनदेखी बताई जा रही है।

विधायक और सांसद की मनमानी बनी नाराजगी की वजह
टिकट वितरण में विधायक दीवान सिंह बिष्ट और सांसद अनिल बलूनी की मनमानी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया है। मदन जोशी को भाजपा का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पार्टी के बड़े धड़े ने खुलकर विरोध जताया। कई सक्रिय भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने लखनपुर में आयोजित स्वागत समारोह से दूरी बनाकर अपना आक्रोश जाहिर कर दिया।

LIU और इंटरनल सर्वे ने दिखाई सच्चाई
सूत्रों के अनुसार, LIU और इंटरनल सर्वे रिपोर्ट में मदन जोशी की छवि नकारात्मक बताई गई थी, जबकि दूसरे दावेदार गणेश रावत की रिपोर्ट बेहद सकारात्मक थी। बावजूद इसके, पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर मदन जोशी को टिकट दिया गया। सवाल यह उठता है कि पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट आखिरकार क्यों पक्षपाती नजर आई? इसका जवाब यह है कि नगर अध्यक्ष मदन जोशी ने कार्यकारिणी में अपने लोगों को शामिल कर लिया, जो पर्यवेक्षकों के सामने उन्हीं के पक्ष में बात कर रहे थे।

खनन और PPP ठेकेदारी में साझेदारी का खेल
मदन जोशी को टिकट दिलाने में विधायक दीवान सिंह बिष्ट की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि विधायक बिष्ट और मदन जोशी के बीच खनन व्यवसाय और सरकारी अस्पताल के PPP मोड के ठेकेदार के साथ खनन के नेचुरल प्लांट में साझेदारी है, PPP मोड संचालक भी टिकट दिलवाने में सहायक रहा.इस ‘तीन तिगड़ी’—मदन जोशी, दीवान बिष्ट और बलूनी के प्रभाव ने टिकट का खेल रच दिया।

विद्रोह की आग और निर्दलीय चुनाव की तैयारी
भाजपा के इस निर्णय से पार्टी के भीतर विद्रोह भड़क गया है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी के कई नाराज कार्यकर्ता और पदाधिकारी गणेश रावत को निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए तैयार कर रहे हैं। इसके लिए आर्थिक मदद की पेशकश तक की जा रही है।

कार्यकर्ताओं की नाराजगी, विधायक पर भी भारी पड़ सकती है
मदन जोशी की उम्मीदवारी के बाद से ही भाजपा के कई सक्रिय पदाधिकारी और कार्यकर्ता खुलकर नाराज हो गए हैं। विधायक दीवान सिंह बिष्ट को अब इन नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए उनके घर-घर जाकर मिन्नतें करनी पड़ रही हैं।

क्या होगा भाजपा का भविष्य?
भाजपा के भीतर सुलगती इस बगावत की आग पार्टी उम्मीदवार और विधायक दोनों के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकती है। रामनगर की जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं के इस आक्रोश के बीच निकाय चुनाव में भाजपा की स्थिति बेहद कमजोर नजर आ रही है। यदि पार्टी ने जल्द ही इन मुद्दों का समाधान नहीं निकाला, तो इस बार भी रामनगर में भाजपा की हार निश्चित मानी जा सकती है।

 

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