उत्तराखण्ड
UKD के सम्मेलन में नेताओं ने दिखाई “गुंडई”, पत्रकार पर हमला — पहाड़ की अस्मिता का झंडा उठाने वाले अब पत्रकारों पर उठा रहे हाथ!
UKD के सम्मेलन में नेताओं ने दिखाई “गुंडई”, पत्रकार पर हमला — पहाड़ की अस्मिता का झंडा उठाने वाले अब पत्रकारों पर उठा रहे हाथ!
रामनगर:
उत्तराखंड की राजनीति में अपने खोए वजूद की तलाश में भटक रही उत्तराखंड क्रान्तिदल (UKD) के कुछ तथाकथित नेताओं ने बुद्धवार को शर्मनाक हरकत कर डाली। बसई में चल रहे UKD के केंद्रीय सम्मेलन में नेटवर्क18 के पत्रकार गोविन्द पाटनी के साथ अभद्रता, धक्का-मुक्की और गाली-गलौज की गई। इतना ही नहीं, उनका मोबाइल छीनकर वीडियो जबरन डिलीट कर दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, सम्मेलन में संगठन के चुनाव को लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं में भीषण मतभेद और तू-तू मैं-मैं चल रही थी। जब पत्रकार गोविन्द पाटनी ने इस अंदरूनी कलह को कवरेज के लिए कैमरे में कैद किया, तो UKD के कुछ “नेता” बौखला गए — और वही बौखलाहट पत्रकार पर बरसी।
अब सवाल यह है कि —
जो दल कभी “पहाड़ की अस्मिता और सम्मान की राजनीति” की बात करता था, उसके मंच से अब पत्रकारों पर हाथ उठाए जा रहे हैं?
क्या यही है UKD का नया एजेंडा — “पहाड़ बचाओ” नहीं, “पत्रकार दबाओ”?
सम्मेलन के नाम पर आज बसई में जो हुआ, उसने साफ कर दिया कि UKD के अंदर अब विचारों की नहीं, गुंडों की राजनीति हावी है।
पत्रकार का कॉलर पकड़ना, मोबाइल छीनना और वीडियो डिलीट कराना — ये सब कुछ किसी राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि किसी गली के दबंगों की हरकत लग रही थी।
इस घटना के बाद रामनगर के पत्रकारों में जबरदस्त गुस्सा है।
पत्रकारों ने हमलावरों के खिलाफ तहरीर दी है और पुलिस को चेतावनी दी है कि अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो कल सुबह 11 बजे कोतवाली में पत्रकार प्रदर्शन करेंगे।
UKD के लिए यह मौका था कि वो अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करता, लेकिन लगता है, अब पार्टी ने संघर्ष नहीं, सनक को अपना लिया है।
कभी उत्तराखंड आंदोलन की आवाज बनने वाला यह दल अब पत्रकार की आवाज को दबाना चाहता है.
अब जनता पूछ रही है—
क्या UKD अब “उत्तराखंड क्रांति दल” नहीं बल्कि “उत्तराखंड कांड दल” बन चुका है?




