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उत्तराखण्ड

भूस्खलन के खतरों का आकलन: उत्तराखंड में LIDAR सर्वे जारी

भूस्खलन के खतरों का आकलन: उत्तराखंड में LIDAR सर्वे जारी

उत्तराखंड के अल्मोड़ा, गोपेश्वर, मसूरी, नैनीताल, और उत्तरकाशी में भूस्खलन के खतरों का आकलन करने के लिए LIDAR सर्वे (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) जारी है। राज्य की मुख्य सचिव, श्रीमती राधा रतूड़ी ने भूस्खलन से संबंधित सूचनाओं के डेटाबेस, खतरों और जोखिमों के आकलन और स्थलीय परीक्षण को और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिए हैं। यह कदम राज्य में भूस्खलन के न्यूनीकरण और प्रबंधन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

चारधाम यात्रा मार्ग के लिए एटलस तैयार होगा

लैंडस्लाइड इंफॉर्मेशन डेटाबेस के तहत, चारधाम यात्रा मार्ग के लिए एक एटलस तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही, राज्य में जिलावार भूस्खलनों की संवेदनशीलता की मैपिंग भी की जा रही है। प्रमुख स्थलों जैसे जोशीमठ, हल्दपानी (गोपेश्वर), इल धारा (धारचूला), बलियानाला (नैनीताल), और ग्लोगी (मसूरी) में भूस्खलन न्यूनीकरण और अनुश्रवण के प्रोजेक्ट भी चल रहे हैं।

नए प्रोजेक्ट्स की तैयारी

नैनीताल के नैना चोटी, हरिद्वार के मनसा देवी, और कर्णप्रयाग के बहुगुणानगर में लैंडस्लाइड मिटिगेशन और मॉनिटरिंग के नए प्रोजेक्ट शुरू करने की भी तैयारी चल रही है। राज्य के एसडीएमएफ (State Disaster Management Fund) के तहत 226 डीपीआर (Detailed Project Report) का मूल्यांकन किया जा चुका है।

मुख्य सचिव ने प्रदेश में भूस्खलन से बचाव के लिए जागरूकता और पूर्व तैयारियों पर जोर दिया है और राज्य में भूस्खलन की मॉनिटरिंग और अर्ली वार्निंग सिस्टम को और मजबूत बनाने के निर्देश दिए हैं।

इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांशु, सचिव विनोद कुमार सुमन, अपर सचिव डॉ. अहमद इकबाल, और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

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