उत्तराखण्ड
नैनीताल: सत्ता के एजेंट बने अफसरों पर हाईकोर्ट का डंडा, SSP के तबादले की बात
संविधान की शपथ खाकर सत्ता की वफ़ादारी —नैनीताल प्रशासन पर सवाल
नैनीताल: लोकतंत्र की रक्षा का वादा कर कुर्सी संभालने वाले अफसर जब सत्ता के एजेंट बन जाते हैं, तो हालात वैसे ही बिगड़ते हैं जैसे 14 अगस्त को नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान हुआ।
बंदूकधारी गुंडे खुलेआम पुलिस के सामने पंचायत सदस्यों को उठा ले गए और प्रशासन मूक दर्शक बनकर खड़ा रहा।
आज उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नैनीताल के डीएम और एसएसपी दोनों की कड़ी फटकार लगाई और साफ कहा कि कानून का मजाक बनाने वालों की जवाबदेही तय होगी।
हाईकोर्ट का सीधा सवाल – पुलिस कर क्या रही थी?
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एसएसपी से पूछा –
“14 अगस्त को नैनीताल में हथियारबंद लोग पंचायत सदस्यों को पुलिस के सामने से उठा ले गए, आपकी पुलिस कर क्या रही थी?”
जवाब में एसएसपी ने कहा कि एफआईआर दर्ज कर दी गई है। लेकिन अदालत ने यह कहकर झटका दिया कि एफआईआर भी तब दर्ज हुई जब कोर्ट ने संज्ञान लिया।
यानि पुलिस ने सत्ता की नज़र में रहकर लोकतंत्र की हत्या को अनदेखा किया और कार्रवाई का नाटक सिर्फ तब किया जब मामला कोर्ट तक पहुंचा।
वीडियो ने खोली पोल – अपहरण साफ दिखा, बयान पलटे सदस्य
14 अगस्त का वायरल वीडियो बताता है कि कैसे बंदूकधारी पंचायत सदस्यों को खींचकर ले जा रहे थे।
लेकिन अब वही सदस्य मीडिया के सामने कह रहे हैं कि उनका अपहरण नहीं हुआ, वे तो “अपनी मर्जी से घूमने गए थे।”
सवाल उठता है—क्या ये बयान सत्ता की दबंगई और दबाव का नतीजा है?
जज ने कही SSP के तबादले की बात
हाई कोर्ट ने सरकारी वकील से साफ कहा कि सरकार से कहें—
“नैनीताल के SSP का तबादला करें।”
लेकिन सरकारी वकील लोकतंत्र की हत्या पर जवाब देने की बजाय जिला पंचायत चुनाव का परिणाम घोषित करने पर जोर देते रहे।
लोकतंत्र की चिता पर सत्ता का नाच
यह सिर्फ एक चुनावी हिंसा का मामला नहीं है।
यह उस सिस्टम का चेहरा है जिसमें अफसर अब जनता के सेवक नहीं, बल्कि सत्ता के चमचे बन चुके हैं।
जो संविधान की रक्षा का शपथ लेकर कुर्सी पर बैठे, वही आज सत्ता की गोद में बैठकर लोकतंत्र को नीलाम कर रहे हैं।
बड़ा सवाल
👉 क्या हाई कोर्ट की फटकार के बाद SSP और DM जैसे अफसरों पर गाज गिरेगी?
👉 क्या सत्ता के दबाव में प्रशासन लोकतंत्र को यूं ही रौंदता रहेगा?
👉 क्या उत्तराखंड में जनता के अधिकारों की रक्षा करने वाला कोई बचा है या सब सत्ता के इशारों पर नाच रहे हैं?
📌 नैनीताल से उठे इस प्रकरण ने पूरे उत्तराखंड में शासन-प्रशासन की पोल खोल दी है। आगे की सुनवाई में क्या होगा, अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट पर टिकी हैं।







