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न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर बीमारी के साथ ही स्मार्टफोन की लत बच्चों को पहुंचा सकती है अवसाद में: आज़म

न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर बीमारी के साथ ही स्मार्टफोन की लत बच्चों को पहुंचा सकती है अवसाद में: आज़म

रामनगर। बच्चों में बढ़ती स्मार्टफोन की लत से चिंतित विशेषज्ञों ने अभिवावकों से अपने बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों में लगाने की अपील की है। रिसर्च स्कॉलर व साइकोलॉजिस्ट आज़म ने बताया कि छोटे छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल देकर किलकारी भरते जिस बच्चे को देखकर माता पिता प्रफुल्लित हो रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि ऐसा करके वह भविष्य की एक बड़ी विकराल समस्या को आमंत्रित कर रहे हैं।

श्री आज़म ने कहा कि यह सत्य है कि आज की दुनिया में स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक इसकी चपेट में आ चुके हैं। हर व्यक्ति ज्यादातर समय अपने स्मार्टफोन के साथ बिताता है। लेकिन यह भी उतना ही सच है कि ज्यादा स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करने से व्यक्ति के मानसिक स्तर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं। सबसे अधिक प्रभाव तो बच्चों के विकसित होते मस्तिष्क पर पड़ रहा है। जिस उम्र में बच्चों के मस्तिष्क का विकास हो रहा होता है ज्यादातर अभिभावक बच्चों की आदतों को बदलने के लिए इसी उम्र में उनके हाथ में स्मार्टफोन देकर उसके व्यवहार को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। इसके कई नकारात्मक प्रभाव बच्चों के मानसिक स्तर पर पड़ रहे हैं। आवश्यकता से अधिक स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बच्चों के मानसिक विकास में तो बाधा उत्पन्न हो ही सकती है, स्मार्टफोन की लत बच्चों के दिमाग को कमजोर भी बना रही है। स्मार्टफोन की वजह से बच्चे दूसरों से मिलना जुलना भी पसंद नहीं करते हैं। अपना अधिक समय वह स्मार्टफोन के साथ बिता रहे हैं। ऐसा करना बच्चों में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या को निमंत्रण देने के बराबर है। अगर बच्चों की इस स्मार्टफोन की लत से छुटकारा नहीं पाया तो भविष्य में उनके व्यवहार में आक्रामकता, अवसाद के साथ ही अन्य प्रकार की सामाजिक और मानसिक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। स्मार्टफोन की इन सभी समस्याओं से बचने के लिए अभिवावकों को अपना ज्यादा समय बच्चों के साथ बिताने का प्रयास करना चाहिए। घर में अभिभावक बच्चों को पेंटिंग, संगीत जैसी अन्य एक्टिविटीज भी व्यस्त रख सकते हैं। इसके साथ ही छोटे बच्चे को इनडोर तथा बड़े बच्चों को आउटडोर गेम्स के लिए प्रेरित करके भी स्मार्टफोन की लत को कम किया जा सकता है।

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