उत्तराखण्ड
नकल माफिया का भंडाफोड़: प्रतियोगी परीक्षाओं में गोरखधंधा करने वाला गैंग हल्द्वानी से दबोचा गया, नौ गिरफ्तार
❗ नकल माफिया का भंडाफोड़: प्रतियोगी परीक्षाओं में गोरखधंधा करने वाला गैंग हल्द्वानी से दबोचा गया, CO❗
उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं को नकलमुक्त बनाने के दावों के बीच हल्द्वानी में चल रहा एक हाईटेक नकल रैकेट बेनकाब हुआ है।
📍 स्थान: टीपीनगर, हल्द्वानी
📆 तारीख: 3 अगस्त 2025
🕸 मकसद: प्रतियोगी परीक्षाओं में लाखों लेकर छात्रों को पास कराना
👥 गिरफ्तार आरोपी: 9
🧠 गैंग सरगना: सुनील कुमार व परविंदर कुमार
🛑 बरामदगी: लैपटॉप, मोबाइल, वाईफाई डोंगल और नकल में इस्तेमाल होने वाले अन्य डिवाइस
📜 धारा: 318(4), 319(2), 3(5) BNS और 66(D) IT Act
💣 गैंग का ऑपरेशन प्लान क्या था?
उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड से जुड़े 9 लोगों ने मिलकर नकल का एक हाईटेक गैंग तैयार किया था। ये लोग किसी डिजिटल लाइब्रेरी को लीज पर लेते थे और फिर भर्ती की ऑनलाइन परीक्षाओं में सॉल्वर बैठाकर लाखों रुपये लेकर छात्रों को पास कराने का जाल बिछाते थे। इस बार भी इनकी नजर 6 अगस्त से शुरू होने वाली एसएससी परीक्षा पर थी।
हल्द्वानी की ज्ञानकोश डिजिटल लाइब्रेरी को लीज पर लेकर ये गैंग हर उस परीक्षा को टारगेट कर रहा था, जिसमें ऑनलाइन पेपर होते थे। एनीडेस्क और एमआई एडमिन जैसे रिमोट सॉफ्टवेयर के जरिये ये लोग परीक्षा देते छात्रों के कंप्यूटर को अपने ‘आईटी एक्सपर्ट्स’ से जोड़ते थे और सॉल्वर दूर बैठकर पेपर हल करते थे।
🔍 जांच में क्या खुला?
गिरफ्तार आरोपियों में अधिकांश के खिलाफ पहले से फर्जीवाड़े के गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ कि सभी एक-दूसरे को पहले से जानते थे और कर्ज में डूबे होने के चलते यह ‘धंधा’ शुरू किया था।
👉 एक सीट की कीमत तय की गई थी 4 लाख रुपये
👉 सॉल्वर टीम, टेक टीम और मैनेजमेंट—पूरे रैकेट का था बंटवारा
💼 आरोपी कौन हैं?
| नाम | जिला | भूमिका | |——|——-|——–| | सुनील कुमार | बागपत, UP | गैंग लीडर | | परविंदर कुमार | देहरादून | गैंग लीडर | | रमाकांत शर्मा उर्फ राहुल | बुलंदशहर | तकनीकी सहयोगी | | अभिषेक कुमार | हाथरस | सॉल्वर टीम | | विशाल गिरी | मेरठ/हरिद्वार | संपर्क सूत्र | | आफताब खान | मुजफ्फरनगर | टेक सपोर्ट | | अरुण कुमार | मुजफ्फरनगर | फील्ड मैनेजर | | शिव सिंह | हाथरस | परीक्षा कैंडिडेट्स से संपर्क | | जसवीर सिंह | रोहतक/जींद | लॉजिस्टिक सपोर्ट |
🧾 बरामदगी
- 2 लैपटॉप (Lenovo व HP)
- 1 वाईफाई डोंगल
- 11 मोबाइल
- नकल करवाने वाले सॉफ्टवेयर
📜 अब तक के केस हिस्ट्री
सुनील, परविंदर और जसवीर के खिलाफ उत्तर प्रदेश के विभिन्न थानों में IPC की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120B के तहत केस दर्ज हैं। इससे साफ है कि ये कोई पहली बार नहीं, बल्कि पुराने नकलबाज खिलाड़ी हैं।
🔴 बड़ा सवाल — ये गैंग इतने समय से सक्रिय था, किसी को भनक क्यों नहीं लगी?
क्या इससे पहले भी परीक्षाएं नकल के दम पर पास करवाई गईं?
क्या ऐसे और भी गैंग राज्य में काम कर रहे हैं?
क्या अब तक कोई ‘कैंडिडेट’ भी नौकरी हासिल कर चुका है?
भर्ती परीक्षा जैसे गंभीर मामलों में अगर ऐसे गैंग पकड़े जा रहे हैं तो ये पूरे सिस्टम के लिए खतरे की घंटी है। नकल के इस काले कारोबार से न सिर्फ ईमानदार प्रतियोगी छात्रों का भविष्य बर्बाद होता है, बल्कि समाज में अयोग्यता को सिस्टम में जगह मिलती है।
जो युवा दिन-रात मेहनत करते हैं, उनके हक को छीनने वाले ऐसे रैकेट न सिर्फ अपराधी हैं, बल्कि भविष्य के सौदागर भी हैं—और इनका पर्दाफाश होना बेहद जरूरी था।
🧨 ATOM BOMB विशेष टिप्पणी:
“अब वक्त आ गया है कि नकल को सिर्फ कानून का मामला नहीं, बल्कि सामाजिक कलंक माना जाए। क्योंकि जब मेहनत हारती है और सेटिंग जीतती है, तब पूरा देश हारता है।”







