उत्तराखण्ड
“किडनैप नहीं… पिकनिक पर हैं! – पलटीबाज पंचायत सदस्य और ‘विकास’ की अनोखी परिभाषा”
नैनीताल से एटम बम रिपोर्ट
राजनीति में पलटी मारना कोई नया खेल नहीं, लेकिन नैनीताल के ये जिला पंचायत सदस्य तो पलटीबाजी के ‘गोल्ड मेडलिस्ट’ निकले। जिनका कथित अपहरण—जी हां, वही जो रेनकोटधारियों के हाथों कैमरे में कैद हुआ था—को लेकर कांग्रेस सड़क से लेकर हाई कोर्ट तक हल्ला मचा रही थी, वो जनाब अब कह रहे हैं, “अरे भाई, अपहरण कैसा? हम तो अपनी मर्जी से घूमने चले गए हैं ”
अब जरा सोचिए, वोट डालने का दिन, अध्यक्षी कुर्सी का जंग, और ये महानुभाव ‘घूमने’ निकल पड़े। न साहब, ये संयोग नहीं, सत्ता का ‘स्नेह-स्पर्श’ है। और देखिए कमाल, कल तक “हम पर हमला हुआ” वाले ये सदस्य अब कह रहे हैं—“सरकार से मिलकर अपने क्षेत्र का विकास करेंगे।”
क्षेत्र का विकास होगा या नहीं, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इनका ‘पर्सनल डेवलपमेंट’ तो अभी से झलकने लगा है।
असलियत ये है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी सिर्फ वोट से नहीं, नोट और ‘लोट’ (यानी पलटने वालों) से तय होती है। मोटी रकम, बाहुबल, और सत्ता का वरदहस्त—ये चुनाव किसी पंचायत से ज्यादा एक “हाई प्रोफाइल मंडी” का दृश्य पेश करते हैं।
और इन पलटीबाजों ने साबित कर दिया है कि राजनीति में न अपहरण सच होता है, न बयान—सच होता है बस कुर्सी के इर्द-गिर्द घूमता ‘लोहे का चुंबक’।
जनता चाहे तो अपने बच्चों को ईमानदारी की कहानियां सुनाए, लेकिन राजनीति का ताज़ा पाठ यही है—“कभी किडनैप, कभी पिकनिक—बस कुर्सी से कनेक्शन बना रहना चाहिए।”







