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उत्तराखण्ड

नशे के खिलाफ पुलिस का अभियान जारी, लेकिन चुनावी राजनीति में गरमाया मुद्दा

राजनीतिक संरक्षण के आरोपों के बीच नशा बना चुनावी जंग का हथियार

रामनगर (नैनीताल)।
निकाय चुनावों में इस बार “नशा” सबसे बड़े मुद्दों में से एक बन गया है। अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव में सत्ता पक्ष को घेरने के लिए विपक्ष इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहा है। जुए के अड्डे और नशे के धंधों को राजनीतिक संरक्षण देने के आरोप भी चर्चा में हैं।

सत्ता पक्ष पर निशाना साधते हुए विपक्ष ने यह आरोप लगाया है कि नशे और जुए के अड्डों के जरिए समाज को बर्बाद करने वालों को बचाने की कोशिश की जा रही है। इन आरोपों ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है।

पुलिस का अभियान और कार्रवाई

रामनगर कोतवाली पुलिस ने नशे के खिलाफ लगातार अभियान चलाया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले तीन सालों में पुलिस ने नशा तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है:

गांजा तस्करी:

2022: 33 मामले दर्ज, 47 गिरफ्तार, 142 किलो 25 ग्राम गांजा बरामद।

2023: 28 मामले दर्ज, 39 गिरफ्तार, 145 किलो 43 ग्राम गांजा बरामद।

2024: 23 मामले दर्ज, 29 गिरफ्तार, 321 किलो से ज्यादा गांजा बरामद।

नशे के इंजेक्शन:

2022: 464 इंजेक्शन बरामद।

2023: 1033 इंजेक्शन बरामद।

2024: 173 इंजेक्शन बरामद।

अवैध शराब:

2022: 79 मुकदमे, 2295 लीटर कच्ची शराब, 141 देसी शराब की बोतलें, 119 अंग्रेजी शराब और 134 बीयर की बोतलें बरामद।

2023: 97 मुकदमे, 2491 लीटर कच्ची शराब, 61 देसी, 18 अंग्रेजी और 24 बीयर की बोतलें जब्त।

2024: 90 मुकदमे, 93 गिरफ्तार।

 

चुनावी माहौल में नशे का मुद्दा

नशे के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के बावजूद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। विपक्ष का दावा है कि नशे के कारोबार में लिप्त लोगों को सत्ता पक्ष का संरक्षण प्राप्त है। वहीं, पुलिस का कहना है कि उनके अभियान में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हो रही है।

पुलिस ने स्पष्ट किया है कि नशे के खिलाफ अभियान पूरी निष्पक्षता और सख्ती से चल रहा है। पुलिस अधीक्षक के मुताबिक, “नशे के कारोबार में लिप्त लोगों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।”

चुनाव में नशा बन सकता है निर्णायक मुद्दा

निकाय चुनाव में नशे का मुद्दा आम जनता के बीच बहस का विषय बन गया है। जहां एक ओर पुलिस अपने अभियान को लेकर संतुष्ट दिख रही है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाकर सत्ता पक्ष को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहा है।

इस मुद्दे का चुनावी परिणाम पर कितना असर पड़ेगा, यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल “नशा” रामनगर निकाय चुनाव का सबसे गरम विषय बन चुका है।

 

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संपादक –

नाम: खुशाल सिंह रावत
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