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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड यूसीसी अधिनियम की संवैधानिक वैधता को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर

उत्तराखंड यूसीसी अधिनियम की संवैधानिक वैधता को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर

रामनगर। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) अधिनियम और उसके नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। यह याचिका उत्तराखंड महिला मंच की डॉ. उमा भट्ट, सुश्री कमला पंत और समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार द्वारा दायर की गई है।

यह याचिका (WPPIL 31/2025) उत्तराखंड उच्च न्यायालय की कोर्ट नंबर 1 में 27 फरवरी 2025 को सुनवाई के लिए आइटम नंबर 1 के रूप में सूचीबद्ध है।

सुप्रीम कोर्ट की प्रसिद्ध वकील वृंदा ग्रोवर करेंगी पैरवी

इस मामले की पैरवी सुप्रीम कोर्ट की प्रसिद्ध वकील वृंदा ग्रोवर करेंगी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उत्तराखंड में लागू किया गया यूसीसी अधिनियम पूर्णतः जनविरोधी और असंवैधानिक है। यह कानून निजता के अधिकार का हनन करता है और समाज में महिलाओं के प्रति हिंसा और भेदभाव को और अधिक बढ़ाने का काम करेगा।

युवाओं के अधिकारों पर हमला

याचिका में कहा गया है कि यूसीसी अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 का उल्लंघन करता है।

  • युवाओं के जीवनसाथी चुनने के अधिकार पर प्रतिबंध लगाकर यह कानून उनकी स्वतंत्रता पर हमला कर रहा है।
  • अंतर्जातीय और अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़े इस कानून के चलते समाज में और अधिक हिंसा और प्रताड़ना का शिकार हो सकते हैं।
  • पुलिस और रजिस्ट्रार को असीमित जांच शक्तियां देकर जनता के उत्पीड़न का रास्ता खोल दिया गया है।

यूसीसी में अनिवार्य पंजीकरण का विरोध

याचिकाकर्ताओं ने यूसीसी के तहत विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप और वसीयत आदि के लिए पंजीकरण को अनिवार्य किए जाने का विरोध किया है। इसके साथ ही मोबाइल नंबर को पंजीकरण से जोड़ने को भी निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के पुट्टास्वामी फैसले का उल्लंघन

याचिका में यह भी कहा गया है कि यूसीसी का यह प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के पुट्टास्वामी मामले में दिए गए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है।

  • अगर कोई नागरिक यूसीसी के तहत पंजीकरण नहीं कराता, तो उसे जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जा सकता है, जो पूरी तरह असंवैधानिक है।

आने वाले दिनों में बढ़ सकती है कानूनी चुनौती

उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू किए गए यूसीसी अधिनियम पर पहले से ही सामाजिक और राजनीतिक बहस चल रही है। अब इस जनहित याचिका के दाखिल होने से इस कानून की संवैधानिकता पर एक बड़ी कानूनी लड़ाई छिड़ सकती है।

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