उत्तराखण्ड
रामनगर:बादशाहो की लड़ाई में मोहरों की पिटाई !
रामनगर (नैनीताल) उत्तराखंड में गजब का सिस्टम चल रहा है।जिस कोतवाल को डीआईजी निलंबित करते हैं उसी कोतवाल को डीआईजी को तीन दिन बाद बहाल भी करना पड़ रहा है जबकि निलंबित कोतवाल के बहाल होने की चर्चाएं उसके निलंबन के चौबीस घंटे बाद से ही होनी लगी थी।
आपको बता दें कि टाइगर कैंप रिजॉर्ट में उसके मैनेजरों की आबकारी एक्ट में गिरफ़्तारी करने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। रिजॉर्ट मैनेजर राजीव कुमार शाह ने पुलिस की इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य के पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव को तलब किया था। कल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वह जज के सामने पेश हुए। इससे पूर्व पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर कुमाऊँ रेंज के डीआईजी डाॅ योगेंद्र सिंह रावत ने रामनगर के कोतवाल अरुण कुमार सैनी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। बीती 16 दिसम्बर की शाम को कोतवाल अरुण कुमार सैनी का निलंबन आदेश जारी किया गया। निलंबन के अगले दिन से ही कोतवाल अरुण कुमार सैनी के बहाली की चर्चा होने लगी थी, हालांकि निलंबन बहाली का आदेश आज जारी हुआ। जिस पुलिस अधिकारी के आदेश पर निलंबन जारी हुआ था, उसी पुलिस अधिकारी ने निलंबन बहाली का आदेश किया है।
अब सवाल खड़ा होता है कि जिस अधिकारी ने कोतवाल को निलंबित किया था, तीन दिन बाद ही उसी अधिकारी को अपना आदेश क्यों पलटना पड़ा?
सात वर्ष से कम की सजा वाले केस में गिरफ्तारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्देशों की अवहेलना पर पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर डीआईजी ने रामनगर के कोतवाल अरुण कुमार सैनी को निलंबित किया था, जिसका आधिकारिक प्रेस नोट मीडिया को भेजा गया था लेकिन निलंबित कोतवाल को बहाल करने का आदेश चुपके से जारी कर दिया गया।एटम बम ने कोतवाल के निलंबन बहाली की पुष्टि करने के लिए डीआईजी के सरकारी नंबर पर कॉल भी किए गए लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ।
डीआईजी का कोतवाल के निलंबन का आदेश तीन दिन बाद ही निष्प्रभावी हो गया।अपने ही आदेश को डीआईजी को पलटना पड़ा।बीती 16 दिसंबर को कोतवाल अरुण कुमार सैनी को निलंबित करने के बाद तीन दिन उनके स्थान पर नये कोतवाल की नियुक्ति नहीं की जाती है,इस पर भी सवाल खड़े होते हैं।
अंदर की खबर यह है कि कोतवाल अरुण कुमार सैनी निलंबित होने के बावजूद भी रामनगर कोतवाली का डायरेक्शन कर रहे थे, उनके बहाली की चर्चा निलंबन के अगले दिन से ही हो गयी थी।
टाइगर कैम्प रिजॉर्ट में पुलिस का छापा मारना, उसके मैनेजरों को जेल भेजना, कोतवाल का निलम्बन होना और फिर आज उनकी बहाली का आदेश का जारी होना, इन सबके पीछे पैसा, पॉवर और ईगो की लड़ाई है।
शतरंज के खेल में मोहरे पीटे जाते, इस खेल में रिजॉर्ट मैनेजर और कोतवाल एक तरह से मोहरे की तरह ही हैं,लड़ाई इनके बादशाहो के बीच की है ये बादशाह पर्दे के पीछे से काम कर रहे है।इनके बादशाहों में शह मात का खेल चल रहा है।
रामनगर की पुलिस कोतवाली ‘मलाईदार’ कोतवाली में शुमार है। इसका इंचार्ज बनने के लिए कई इंस्पेक्टर जुगाड़ में रहते है। ऊपर चढ़ावा दे कर यहां पोस्टिंग पाने का भी प्रयास रहता है। बहरहाल लम्बे समय से यहाँ विराजमान अरुण कुमार सैनी के निलंबन के बाद से ही यहां पोस्टिंग की उम्मीद पाले इंस्पेक्टरों की उम्मीद टूट गई होगी।
कोतवाल अरुण कुमार सैनी की बहाली देहरादून में बैठे सिस्टम को चला रहे उन लोगों के प्रयास से हुई है जिनको खुश करने के चक्कर में ही कोतवाल संकट में आये।
बादशाहों की लड़ाई अभी जारी है,जो दिखाया जा रहा वो लड़ाई रील है,रियल लड़ाई कुछ और है जिसे दोनों पक्षों के बादशाह बताना नही चाहेंगे।