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उत्तराखण्ड

पाटकोट में फूटा गुस्सा, रणजीत सिंह रावत ने भरी हुंकार — शराबखोरी पर नहीं चलेगी सरकार की मनमानी!

शराब की दुकान के खिलाफ उबाल पर पाटकोट, महिलाएं मोर्चे पर – पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत भी कूदे मैदान में
— एटम बम, रामनगर (नैनीताल)

रामनगर। नैनीताल जिले के पाटकोट गांव में सरकारी शराब ठेके के खिलाफ जनता का गुस्सा दिन-ब-दिन उबाल पर है। खासकर गाँव की महिलाओं ने इस लड़ाई को अपना नेतृत्व सौंपते हुए इसे जन-आंदोलन में तब्दील कर दिया है। आंदोलन के 18वें दिन गुरुवार को कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत धरना स्थल पर पहुंचे और आंदोलनकारी महिलाओं का हौसला बढ़ाया।

शराब की नई दुकान खोलने के मुद्दे पर रणजीत सिंह रावत ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा—
“जब से डबल इंजन की सरकार आई है, तब से प्रदेश में स्कूल और अस्पताल बंद हो रहे हैं, राशन की दुकानों पर ताले लग रहे हैं, लेकिन शराब की दुकानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।”

रावत ने यह भी कहा कि जिन दुकानों को बंद करने का ऐलान खुद मुख्यमंत्री ने किया था, उन्हें तत्काल प्रभाव से बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रशासन को चेताया कि यदि पटकोट और मालधन में खोली गई नई शराब की दुकानों को नहीं हटाया गया तो आंदोलन और ज्यादा उग्र रूप लेगा।

मुख्यमंत्री पर धोखा देने का आरोप, पुतला फूंका
पाटकोट में महिलाओं का आक्रोश इस कदर भड़का कि उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पुतला फूंककर अपना गुस्सा जाहिर किया। आंदोलनकारियों का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने शराब की दुकानों को लेकर जो वादे किए थे, वो खोखले साबित हो रहे हैं।

गौरतलब है कि पाटकोट में शराब की दुकान खोले जाने के खिलाफ ग्रामीण 18 दिनों से लगातार धरने पर बैठे हैं। इस दौरान कई बार प्रशासन को चेतावनी दी जा चुकी है, लेकिन सरकार की चुप्पी आंदोलनकारियों के गुस्से को और भड़का रही है।

महिलाएं बोलीं— बच्चों को बर्बाद नहीं होने देंगे
धरनास्थल पर जुटी महिलाओं का कहना है कि गांव में शराब की दुकान खोलना बच्चों और युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उनका स्पष्ट संदेश है—
“हम अपने गांव में शराब नहीं बिकने देंगे, चाहे हमें इसके लिए कुछ भी करना पड़े।”

‘डबल इंजन’ सरकार की नीतियों पर सवाल
पूर्व विधायक रावत ने भाजपा सरकार पर राज्य को गर्त में ले जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को विकास नहीं, सिर्फ राजस्व चाहिए—वो भी शराब के धंधे से। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकताएं जनहित नहीं, मुनाफा बन गई हैं।

पाटकोट की धरती एक बार फिर साबित कर रही है कि जब महिलाएं सड़क पर उतरती हैं, तो सत्ता के गलियारों में भी हलचल मच जाती है। सवाल यह है कि क्या सरकार अब भी सोई रहेगी, या जनता की आवाज सुनने को मजबूर होगी?

यह आंदोलन अब सिर्फ पाटकोट की नहीं, पूरे राज्य में शराब के खिलाफ उठती जनचेतना की तस्वीर बन गया है।

जारी रहेगा…

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