उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में होगी ‘हेलमेट मैन ऑफ इंडिया’ की बायोपिक की शूटिंग, सड़क सुरक्षा का देगा संदेश
रामनगर। उत्तराखंड जल्द ही एक बेहद खास और प्रेरणादायक फिल्म की शूटिंग का गवाह बनने जा रहा है। यह फिल्म किसी क्रिकेटर, अभिनेता या राजनेता पर नहीं, बल्कि एक आम इंसान की असाधारण मुहिम पर आधारित है – जिनका नाम है राघवेंद्र कुमार, जिन्हें देशभर में हेलमेट मैन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है।
दिसंबर महीने में उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में इस फिल्म की शूटिंग शुरू होगी। खास बात यह है कि यह फिल्म तेलुगु भाषा में बनाई जा रही है, लेकिन यह पूरे देश में दिखाई जाएगी यानी यह एक पैन इंडिया फिल्म होगी। इसका मकसद सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है।
हैदराबाद की प्रोडक्शन कंपनी ‘औदम्बरा एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड’ इस बायोपिक को बना रही है। फिल्म के निर्माता नंदकिशोर, पीएल प्रसाद और प्रियदर्शिनी हैं। स्क्रिप्ट पर बीते एक साल से धर्मेंद्र बघेल काम कर रहे हैं और इसके लिए वे बिहार में भी रिसर्च करेंगे। फिल्म का एग्रीमेंट राघवेंद्र ने हैदराबाद की सड़कों पर ही किया है।
एक दोस्त की मौत ने बदल दी जिंदगी
बिहार के कैमूर जिले के रहने वाले राघवेंद्र की जिंदगी में बड़ा बदलाव साल 2014 में आया, जब उनके दोस्त कृष्णा ठाकुर की दिल्ली में एक बाइक एक्सीडेंट में मौत हो गई। डॉक्टरों का कहना था कि अगर उसने हेलमेट पहना होता, तो शायद उसकी जान बच जाती। इस घटना ने राघवेंद्र को झकझोर दिया और तभी से उन्होंने सड़क सुरक्षा को अपना मिशन बना लिया।
राघवेंद्र ने बीते 10 सालों में देश के 22 राज्यों में करीब 60,000 हेलमेट मुफ्त में बांटे हैं। वे बिना हेलमेट चलने वालों को न केवल हेलमेट देते हैं, बल्कि ट्रैफिक नियमों के पालन का संदेश भी देते हैं। इस मुहिम के लिए उन्होंने अपनी कमाई, जमीन, घर, यहां तक कि अपनी पत्नी के गहने तक बेच दिए।
सेना के साथ भी चला रहे हैं मुहिम
राघवेंद्र अब भारतीय सेना के साथ मिलकर पांच राज्यों में सड़क सुरक्षा अभियान चला रहे हैं। कई राज्यों ने उन्हें ट्रैफिक ब्रांड एंबेसडर बनाया है। खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी उनकी पहल की तारीफ कर चुके हैं।
फिल्म से मिलेगा बड़ा संदेश
यह फिल्म सिर्फ एक बायोपिक नहीं, बल्कि एक सकारात्मक सामाजिक बदलाव का माध्यम बनेगी। इसमें दिखाया जाएगा कि कैसे एक आम इंसान भी लाखों लोगों की जिंदगी बचाने की कोशिश कर सकता है। फिल्म की कमाई का एक हिस्सा भी सड़क सुरक्षा मिशन और हेलमेट बांटने में लगाया जाएगा।
राघवेंद्र का मानना है कि दक्षिण भारत में सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बनाने की परंपरा रही है और यह फिल्म भी लोगों के दिलों में जगह बनाएगी। फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड, बिहार समेत उन 22 राज्यों में की जाएगी, जहां राघवेंद्र ने अपने अभियान को पहुंचाया है।
यह फिल्म न केवल राघवेंद्र की संघर्षपूर्ण और प्रेरक कहानी को सामने लाएगी, बल्कि लाखों लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करने का भी काम करेगी। उम्मीद है कि यह बायोपिक लोगों के दिलों में जगह बनाएगी और समाज में बदलाव की एक नई शुरुआत करेगी।







