उत्तराखण्ड
गाँवों की सांस, खेतों की धड़कन और बच्चों का भविष्य—सबको दांव पर लगाकर स्टोन क्रेशर माफिया बढ़ा रहा है कब्ज़े का खेल!
गाँवों की सांस, खेतों की धड़कन और बच्चों का भविष्य—सबको दांव पर लगाकर स्टोन क्रेशर माफिया बढ़ा रहा है कब्ज़े का खेल!
रामनगर(नैनीताल) सीतापुर टांडा और सीमावर्ती गांव पापड़ी के ग्रामीण भड़के हुए हैं—और वजह भी बड़ी है। यहाँ 14 मीटर चौड़ाई वाले सरकारी नाले को बेरहमी से काटकर, पाटकर और मिट्टी में मिलाकर स्टोन क्रेशर खड़ा करने का खेल चल रहा है। यह वही नाला है जो बरसात में गांवों को डूबने से बचाता है, खेतों को जिंदा रखता है और पूरे इलाके की जल निकासी का एकमात्र रास्ता है।
लेकिन मुनाफ़े की भूख में अंधे लोग इसे खत्म करने पर तुले हैं—और प्रशासन खामोश!
अगर यह नाला बंद हुआ, तो 12 गाँव जलसमाधि के कगार पर!
स्थानीय लोगों के मुताबिक, नाला बंद होने पर सीतापुर टांडा, हरीपुर सौन, छोटी भवानीपुर, बड़ी भवानीपुर, जीवनन्दपुर, सक्खनपुर, कामदेवपुर, बेरिया, कंदला, करायलपुरी, थारी—इन तमाम गाँवों के खेत, घर, मंदिर, स्कूल… सब पानी में डूब जाएंगे।
यानी एक स्टोन क्रेशर के लिए पूरा इलाका बर्बाद करने की खुली तैयारी हो रही है।
शिकायत पत्र में ग्रामीणों का सीधा आरोप:
फल पट्टी को बर्बाद कर रहे हैं, नियमों को रौंदा जा रहा है!**
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और शासन को भेजे शिकायती पत्र में लिखा है कि—
- यह पूरा क्षेत्र फल पट्टी है, जहाँ स्टोन क्रेशर लगाना नियम विरुद्ध है।
- पहले से मौजूद भारी प्रदूषण की वजह से लोग सांस लेने तक में परेशान हैं।
- फिर भी क्रेशर माफिया गिरोह नियमों को जूते तले रौंदकर काम शुरू कर रहा है।
ग्रामीणों की मांग साफ है—
स्टोन क्रेशर सिर्फ क्रशिंग जोन में लगें, गाँवों में नहीं।
कृषि भूमि बरबाद, आजीविका खतरे में—
फिर भी अधिकारी आंखें बंद किए बैठे?**
ग्रामीणों का आरोप है कि क्रेशर निर्माण के लिए नाले को बंद कर दिया गया है, जिससे उनकी उपजाऊ कृषि भूमि खराब होना शुरू हो गई है।
यह सिर्फ अवैध निर्माण नहीं—यह एक पूरे इलाके की जीवनरेखा पर सीधा हमला है।
ग्रामीणों की सीधी चेतावनी:
“अगर प्रशासन नहीं जागा, तो हम सड़क पर उतरेंगे!”
लोगों ने साफ कहा है कि इस मामले में तत्काल एक्शन लिया जाए, वरना ग्रामीण बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
यह मामला सिर्फ एक क्रेशर का नहीं—
यह उस सिस्टम की असलियत है जो विकास के नाम पर गांवों का गला घोंट रहा है।
अगर प्रशासन ने इसे रोकने की हिम्मत नहीं दिखाई…
तो आने वाली बरसात में यह पूरा इलाका किसी त्रासदी से कम नहीं बचेगा।








