उत्तराखण्ड
कुमाऊँ मंडल में सांस्कृतिक दलों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू, पहले दिन ऊधमसिंहनगर के 27 दलों ने लिया भाग
कुमाऊँ मंडल में सांस्कृतिक दलों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू, पहले दिन ऊधमसिंहनगर के 27 दलों ने लिया भाग
हल्द्वानी, 26 मई 2025।
उत्तराखंड के सूचना एवं लोक संपर्क विभाग द्वारा राज्य की जनकल्याणकारी योजनाओं और नीतियों के प्रचार-प्रसार के लिए सांस्कृतिक दलों के पंजीकरण की प्रक्रिया कुमाऊँ मंडल में भी प्रारंभ हो गई है। सोमवार को हल्द्वानी के एमबीपीजी कॉलेज परिसर में इस प्रक्रिया का शुभारंभ हुआ, जिसमें पहले दिन ऊधमसिंहनगर जनपद से 27 सांस्कृतिक दलों ने भाग लिया।
राज्य सरकार की विभागीय गीत-नाट्य योजना के अंतर्गत पंजीकृत दलों के माध्यम से विभिन्न योजनाओं और उपलब्धियों को आम जनता तक पहुंचाया जाता है। इस क्रम में गढ़वाल मंडल के जिलों के लिए यह प्रक्रिया 13 से 20 मई तक देहरादून स्थित सूचना भवन में संपन्न की जा चुकी है, जबकि कुमाऊँ मंडल के छह जिलों के दलों के लिए ऑडिशन 26 मई से 30 मई तक आयोजित किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर देहरादून से आए सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक के.एस. चौहान ने कहा कि यह योजना राज्य की लोकसंस्कृति को जीवंत रखने के साथ-साथ प्रतिभाशाली कलाकारों को मंच देने का भी कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि पंजीकृत दलों के माध्यम से सरकार की योजनाओं को विशेषकर दूरस्थ व पर्वतीय क्षेत्रों में रंगारंग कार्यक्रमों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है, जिससे जनसाधारण को इनका सरलता से लाभ मिल सके।
संयुक्त निदेशक ने यह भी बताया कि लोकगीत, लोकनृत्य, कठपुतली, भजन, नुक्कड़ नाटक, कब्बाली जैसे पारंपरिक कला रूपों के माध्यम से न केवल जागरूकता फैलाई जा रही है, बल्कि युवाओं को अपनी संस्कृति से जोड़ने और रोजगार प्रदान करने का एक सशक्त माध्यम भी बन रहा है।
सांस्कृतिक दलों की चयन प्रक्रिया में वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल घिल्डियाल, घनश्याम भट्ट, केंद्रीय संचार ब्यूरो की श्रद्धा गुरुरानी, भारतखंडे अल्मोड़ा से सुनील कुमार, और सूचना अधिकारी हल्द्वानी मीडिया सेंटर की प्रियंका जोशी निर्णायक मंडल में शामिल रहे।
आगामी दिनों की ऑडिशन प्रक्रिया का कार्यक्रम निम्नानुसार रहेगा:
- 27 मई: पिथौरागढ़ व चंपावत
- 28 मई: बागेश्वर
- 29 मई: अल्मोड़ा
- 30 मई: नैनीताल
ऑडिशन स्थल पर जिला सूचना अधिकारी नैनीताल गिरिजा जोशी, ऊधमसिंहनगर के गोविंद बिष्ट, व्यवस्था अधिकारी रामपाल सिंह रावत सहित विभाग के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।
यह प्रक्रिया न सिर्फ लोकसंस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक प्रभावी कदम है, बल्कि यह सांस्कृतिक सशक्तिकरण और जनजागरूकता का सशक्त माध्यम भी बन रही हैँ.







