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उत्तराखण्ड

कॉर्बेट प्रशासन की कार्यप्रणाली से नाराज ईको विकास समितियों के अध्यक्षों ने दिए इस्तीफे।

रामनगर (नैनीताल) कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन की कार्यप्रणाली से नाराज ईको विकास समितियों की पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिए हैं। कॉर्बेट प्रशासन को अपने इस्तीफे सौंपते हुए उन्होंने ईको विकास समितियों को भंग करने की भी मांग कर डाली है। धीरज पाण्डे के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक का चार्ज संभालने के बाद से कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से नए-नए विवाद सामने आ रहे है।

प्राप्त समाचार के मुताबिक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों से प्रभावित गाँवो में ईको विकास समितियां बनाई गई लेकिन आज इन पी को विकास समितियों के पदाधिकारियों ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के मुख्यालय में जाकर कॉर्बेट प्रशासन के प्रति अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की है।कॉर्बेट प्रशासन ने ग्लोबल टाइगर डे के आयोजन में ईको विकास समितियों शामिल नहीं किया गया था जिससे क्षुब्ध होकर 17 में से 13 ईको विकास समितियों के अध्यक्षों ने इस्तीफे दे दिए। इन इस्तीफों को देने के लिए वह कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक के पास गए थे लेकिन निदेशक द्वारा कार्यालय में उपस्थित न होने पर उन्होंने उप निदेशक को अपने इस्तीफे सौंप दिए। सावलदे ईको विकास समिति के अध्यक्ष महेश जोशी ने बताया कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व उनकी गाँव की समस्याओं पर ध्यान नहीं देता है। कॉर्बेट की विकास और रोज़गार की योजनाओं से वन्यजीव प्रभावित उनके गांवों की कोई सुध नहीं ली जा रही है।

ईको विकास समितियों का कहना है कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के निदेशक उनसे संवाद नहीं करते, निदेशक से मिलने उनके कार्यालय पहुँचते हैं तो वो कार्यालय से नदारद मिलते हैं।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व द्वारा निकली के एक रिजॉर्ट में ग्लोबल टाइगर डे मनाया गया लेकिन इस आयोजन से इको विकास समितियों को नहीं जोड़ा गया। इससे प्रतीत होता है कि कॉर्बेट प्रशासन ईको विकास समितियों की अनदेखी कर रहा है।

आपको बता दें कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की वर्तमान कार्यप्रणाली से होटल एंड रिसॉर्ट्स एसोसिएशन भी नाराज़ है। रिसॉर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हरि मान ने ग्लोबल टाइगर डे पर होटल एंड रिसॉर्ट्स कारोबारियों ना बुलाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघ सहित तमाम वन्य जीव प्राणियों के संरक्षण के लिए सिर्फ कॉर्बेट प्रशासन ने ही नहीं,बल्कि यहां के पर्यटन कारोबारियों ने भी अपनी प्रमुख भागीदारी निभाई है।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन ने इस मामले में अपनी सफाई दी है। प्रेस को जारी एक बयान में कॉर्बेट प्रशासन ने कहा कि ग्लोबल टाइगर डे कार्यक्रम में आयोजित बैठक राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण ( एन०टी०सी०ए०), पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की एक तकनीकी बैठक थी। इसमें प्रतिभाग करने हेतु विभिन्न राज्यों से अधिकारियों व तकनीकी विशेषज्ञों को एन०टी०सी०ए० द्वारा आमंत्रित किया गया था। कार्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन तथा मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, उत्तराखण्ड के स्तर से केवल क्षेत्र के मा० विधायकगणों एवं राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्यों को ही आमंत्रित किया गया था शेष सभी आमंत्रण भारत सरकार द्वारा जारी किये गये थे। कार्यक्रम में आयोजित प्रदर्शनी में देश के विभिन्न टाइगर रिजर्व का प्रतिनिधित्व उनके क्षेत्र की सम्बन्धित ई०डी०सी० द्वारा किया गया तथा कार्बेट टाइगर रिजर्व का प्रतिनिधित्व सावल्दे पूर्वी रोमलखलिया तथा देवीपुर बासीटीला, ई०डी०सी० के सदस्यों द्वारा किया गया। अतः पुनः स्पष्ट किया जाता है कि ग्लोबल टाइगर डे कार्यक्रम में आयोजित बैठक राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (एन०टी०सी०ए०), भारत सरकार की तकनीकी बैठक थी।

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