उत्तराखण्ड
पंचायत चुनाव में “शराब-शक्ति” की धमक: ईमानदार प्रत्याशियों के लिए मैदान नहीं, माफिया का अखाड़ा बनती जा रही है लोकतंत्र की लड़ाई
पंचायत चुनाव में “शराब-शक्ति” की धमक: ईमानदार प्रत्याशियों के लिए मैदान नहीं, माफिया का अखाड़ा बनती जा रही है लोकतंत्र की लड़ाई
हल्द्वानी/नैनीताल | एटम बम ब्यूरो
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच नैनीताल जनपद में एक बार फिर वही पुराना और शर्मनाक दृश्य दोहराया जा रहा है—पैसे और शराब की बौछार से मतदाताओं की नीयत खरीदी जा रही है। जिस लोकतंत्र की नींव जनभागीदारी पर टिकी हो, वहां शराब की बोतलों और नोटों की गड्डियों से फैसले तय हो रहे हैं।
हालिया कार्यवाही में लालकुआं, काठगोदाम और मुक्तेश्वर पुलिस ने अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर भारी मात्रा में अवैध शराब बरामद की है। इस दौरान कुल 48 लीटर कच्ची शराब, 07 पेटी अंग्रेजी शराब और 02 पेटी देशी शराब के साथ 04 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
✅ नामांकन से पहले ही “शराबबंदी” विफल!
ऐसे वक्त में जब चुनाव निष्पक्ष कराने की बात कही जा रही है, यह बरामदगी इस बात का प्रमाण है कि गांवों में शराब का खुला वितरण शुरू हो चुका है। ये बोतलें सिर्फ जश्न के लिए नहीं, बल्कि वोट की बोली लगाने के लिए लाई जा रही हैं। और दुख की बात यह है कि प्रशासनिक सख्ती की तमाम बातें कागज़ पर हैं, ज़मीन पर नहीं।
✍ कौन-कौन फंसे? किसके हाथ में थी नशे की डोर?
🔹 लालकुआं में दो लोगों—चंदन सिंह भाकुनी उर्फ गोलू और सतनाम सिंह को अवैध कच्ची शराब के साथ पकड़ा गया।
🔹 काठगोदाम में संदीप आर्य को एक कार में अंग्रेजी शराब की 07 पेटियों के साथ धर दबोचा गया।
🔹 मुक्तेश्वर में कृष्ण चंद्र नामक व्यक्ति के पास से देशी और अंग्रेजी शराब की कुल 03 पेटी बरामद की गईं।
💬 गरीब, ईमानदार प्रत्याशी की उम्मीदें चकनाचूर
चुनाव मैदान अब गांव के विकास और ईमानदारी के बजाय “शराब बांटने की क्षमता” और “पैसे की ताकत” से लड़ा जा रहा है। ऐसे में जो प्रत्याशी ईमानदारी से चुनाव लड़ना चाहता है, उसके लिए यह माहौल किसी नर्क से कम नहीं। नशे में डूबे मतदाता से वह क्या उम्मीद करे जो सिर्फ दारू और सौ-दो सौ रुपए में अपना अधिकार बेचने को तैयार हो?
📌 सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, असली सवाल यह है—
- ये शराब किसके लिए लाई जा रही थी?
- इन लोगों के पीछे कौन से नेता या प्रत्याशी हैं?
- क्या कोई भी नामांकन रद्द होगा?
- क्या इन घटनाओं का चुनाव खर्च और नैतिकता से कोई लेना-देना है?
❗ जहां शराब की बोतलें नारे बन गई हों, वहां लोकतंत्र सिर्फ पोस्टरों में बचा रह जाता है। पंचायत चुनाव को स्वच्छ और सशक्त बनाने के लिए सिर्फ कार्यवाही नहीं, राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनता की जागरूकता जरूरी है। वरना ये चुनाव भी उन्हीं के हाथों में जाएगा, जिनके पास “पैसा, प्रभाव और पैग” है।
🔴 “सच का धमाका” जारी रहेगा…
एटम बम | www.atombombnews.com
“जहां कोई नहीं बोले, वहां हम बोलते हैं!”







