उत्तराखण्ड
त्रिजुगीनारायण: देवभूमि में वैदिक परंपराओं के संग रचते हैं विवाह, बना वैश्विक वेडिंग डेस्टिनेशन
त्रिजुगीनारायण: देवभूमि में वैदिक परंपराओं के संग रचते हैं विवाह, बना वैश्विक वेडिंग डेस्टिनेशन
देवभूमि उत्तराखण्ड की पावन धरती अब डेस्टिनेशन वेडिंग का नया केंद्र बनती जा रही है। रुद्रप्रयाग जनपद स्थित त्रिजुगीनारायण मंदिर—जहां मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ था—आज दुनियाभर के जोड़ों को आकर्षित कर रहा है। यहां हर महीने 100 से अधिक शादियों का आयोजन हो रहा है, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था का भी मजबूत आधार बनता जा रहा है।
त्रिजुगीनारायण मंदिर में वैदिक विधि-विधान के अनुसार विवाह की अनूठी परंपरा और आध्यात्मिक वातावरण ने इसे एक वैश्विक वेडिंग डेस्टिनेशन का दर्जा दिला दिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तराखण्ड को डेस्टिनेशन वेडिंग हब के रूप में प्रोत्साहित करने के बाद से इस क्षेत्र में पर्यटकों और नवविवाहित जोड़ों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि “प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से आज उत्तराखण्ड वैश्विक मंच पर एक वैकल्पिक वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। इससे न केवल हमारी संस्कृति और परंपराएं विश्व स्तर पर पहुंच रही हैं, बल्कि स्थानीय युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।”
सिंगापुर से लेकर इसरो तक—हर कोई त्रिजुगीनारायण की ओर
वेडिंग प्लानर रंजना रावत बताती हैं कि 7 से 9 मई के बीच सिंगापुर में कार्यरत भारतीय मूल की डॉक्टर प्राची त्रिजुगीनारायण में विवाह करने के लिए पहुंच रही हैं। उन्होंने जीएमवीएन के पर्यटक आवास गृह को बुक किया है। रंजना बताती हैं कि केवल अप्रैल माह तक ही यहां करीब 500 शादियां सम्पन्न हो चुकी हैं, जबकि वर्ष 2024 में पूरे साल में मात्र 600 विवाह हुए थे।
यहां तक कि इसरो के वैज्ञानिकों और देश की जानी-मानी हस्तियों ने भी इस पवित्र स्थल को अपने जीवन के सबसे पावन अवसर के लिए चुना है।
परंपरा और पवित्रता के साथ रचता है जीवनबंधन
मंदिर के पुजारी सच्चिदानंद पंचपुरी बताते हैं कि त्रिजुगीनारायण में विवाह वैदिक परंपराओं के अनुरूप होता है। विवाह के लिए पूर्व पंजीकरण अनिवार्य है और वर-वधू के माता-पिता या अभिभावकों की उपस्थिति आवश्यक होती है। मंदिर परिसर में ही सात फेरों के लिए विशेष वेदी बनाई गई है और विवाह के उपरांत अखंड ज्योति के समक्ष पग फेरे की परंपरा निभाई जाती है।
त्रिजुगीनारायण से सीतापुर तक फैले इस वेडिंग बेल्ट में विवाह आयोजनों के लिए विशेष पुजारियों की टीम, मांगल गायक, ढोल-दमौ वादक और होटल व्यवसायी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पुजारियों द्वारा विवाह के लिए दक्षिणा की तय दरें हैं, जिससे पूरी प्रक्रिया व्यवस्थित रहती है।
आस्था, संस्कृति और रोजगार—तीनों का संगम
त्रिजुगीनारायण में हो रही डेस्टिनेशन वेडिंग्स न केवल धर्म और संस्कृति को जीवंत कर रही हैं, बल्कि इसके माध्यम से सैकड़ों स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है। होटल इंडस्ट्री, वेडिंग प्लानिंग, फूल सजावट, मांगल गीत, परिवहन और स्थानीय व्यंजन तैयार करने वालों तक—हर किसी के लिए यह एक नई उम्मीद बनकर उभरा है।
उत्तराखण्ड सरकार इस दिशा में लगातार प्रयासरत है कि राज्य के अन्य धार्मिक और प्राकृतिक स्थलों को भी डेस्टिनेशन वेडिंग की दृष्टि से विकसित किया जाए।
त्रिजुगीनारायण अब केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि प्रेम, परंपरा और प्रकृति का संगम बन चुका है—जहां हर विवाह, एक पवित्र अनुष्ठान की तरह रचा जाता है।




